इस आर्टिकल में हम डॉक्टर ने दीई हुवी दवा की चिठ्ठी :हिंदी कहानी: स्टोरी पढ़ेंगे जो एक बीमार आदमी और डॉक्टर की हिंदी कहानी है। यह हिंदी कहानी हमे अपने आचरण के बारे में सिख देगी।
डॉक्टर ने दीई हुवी दवा की चिठ्ठी :हिंदी कहानी
एक आदमी बीमार पड़ता है और इलाज के लिए डॉक्टर के पास जाता है। डॉक्टर उसकी अच्छी तरह से जांच करता है और एक चिठ्ठी पर कुछ दवाएं लिख के उस आदमी को देता है । इस आदमी को अपने डॉक्टर पर बहुत भरोसा होता है।
घर लौटने पर वह अपने प्रार्थना कक्ष में डॉक्टर की एक सुंदर तस्वीर लगाता है, फिर वह उस तस्वीर को बड़ी श्रद्धा से प्रणाम करता है और तीन बार प्रणाम करके उसके सामने बैठता है। उस फोटो को फूल चढ़ाता है । अगरबत्ती जलाता है। फिर वह डॉक्टर द्वारा बताई गई दवा की चिठ्ठी निकालता है और बड़ी श्रद्धा के साथ बार-बार चिठ्ठी को पढ़ता है।
दो गोली सुबह ! दोपहर में दो गोलियां! रात को दो गोली !
वह आदमी इस तरह उस चिठ्ठीका जप करता रहता है।पूरा दिन नहीं जीवन भर वो उस चिठ्ठी का जप करता रहता है ,क्योंकि उसे डॉक्टर पर बहुत विश्वास है। और फिर भी चिठ्ठी उसे बीमारी को ठीक करने में मदत नहीं करता है।
वो सोचता है की ऐसा क्यों हो रहा है तब आदमी उस चिठ्ठी के बारे में और जानकारी इकट्ठा करने का फैसला करता है। और इसलिए वह वह डॉक्टर के पास दौड़ता हुवा जाता है और पूछता है, ‘डॉक्टर साहब मुझे येही दवाएं क्यों लिखे दी हैं? वे दवाएं मेरी मदत कैसे करेंगी?’
डॉक्टर अपने पेशे में निपुण होता है डॉक्टर उसे जल्दी से बताते है की आपको ऐसी -ऐसी बीमारी हुवी है और उसका ऐसा -ऐसा कारण है इसलिए मैंने आपको ये दवा लिखके दी है अगर आप इसे निर्देशानुसार लेते हैं, तो आपकी बीमारी पूरी तरह से नष्ट हो जाएगी
उस बीमारी के कारण मिट जाएगा। एक बार यह कारण दूर हो जाने पर आपका रोग अपने आप ठीक हो जाएगा। ‘
वह आदमी सोचता है, ‘की बहुत अच्छा! मेरे डॉक्टर कितने अच्छे और होशियार है ! उनके द्वारा बताई गई दवाएं कितनी उपयोगी हैं! “जब वह घर आता है, तो वह अपने पड़ोसियों और रिश्तेदारों से झगड़ता है और जोर देकर कहता है, ‘मेरा डॉक्टर सबसे अच्छा डॉक्टर है। बाकी सभी डॉक्टर बेकार हैं।’
वास्तव में ये बाते करके उसे लाभ क्या मिलेगा?जब तक वो दवाई नहीं लेता तब तक उसे बीमारिसे छुटकारा नहीं मिलेगा उसे उस दवाइसे सिर्फ बाते करके फायदा नहीं होगा जिस तरह वो डॉक्टर के तस्वीर को रोज प्रणाम करता है उसी तरह उसे रोज दवाई लेनी होगी
प्रत्येक मुक्त व्यक्ति उस डॉक्टर के समान है। वह समाज के लोगों का मार्गदर्शन करता है कि कैसे दुख से मुक्त हो सकते हैं। वह एक चिठ्ठी देता है जिसमें बताया गया है कि उस रास्ते पर कैसे चलना है।
लोगों ने उस महापुरष के बारे में अंध श्रद्धा पैदा की
उनके द्वारा दिये गये पत्र को पुराण बना डाला और दूसरे संप्रदाय के लोगों से बड़े जोश के साथ युद्ध करने लगे की हमारी चिठ्ठी (मान्यता ) सबसे अच्छी है, तो क्या होगा? दुख से कैसे छुटकारा मिलेगा ? डॉक्टर पर विश्वास करना निश्चित रूप से फायदेमंद होता है अगर रोगी को उसके द्वारा दी गई दवा को लेता है। दवा का असर कैसा होता है यह तभी पता चलेगा जब आप दवा को ग्रहण करेंगे । ले
किन वास्तव में कोई भी बिना दवा खाए सिर्फ डॉक्टरों से अपनी बीमारी से ठीक नहीं हो जाएगी । दुख से छुटकारा पाने के लिए हमें खुद दवा लेनी चाहिए।
कहानी की सिख
धर्म की बाते सुनकर मुक्ति नहीं मिलेगी उसे आचरण में लाना होगा।
धर्म में प्रगति झगड़ने से नहीं होगी उसे आचरण में लाना होगा ।
धर्म सबके लिए समान होता है ।
दोस्तों ये कहानी आपको कैसी लगी कमेंट करके जरूर बताना
धन्यवाद।