दोस्तों स्वागत है आपका Boldost.com पर। इस आर्टिकल में हम एक स्टोरी पढ़ेंगे -जैसे बीज वैसा फल (जो बोओगे वैसा पाओगे ) हिंदी कहानी जो एक किसान की स्टोरी है।
इस स्टोरी में हमे जीवन जीने के लिए किस तरह के कर्म के बीज बोने है और उसके फल कैसे लेने है यह सिखनेको मिलेगा।
इस जीवन में प्रकृति जिसे हम ईश्वर,मन ,देवता कहते है वो किसी के ऊपर अन्याय नहीं होने देती है जिस तरह का कर्म होगा उस तरह का फल मिलेगा ।
चलो तो फिर चलते है स्टोरी की तरफ।
कथा: जैसे बीज वैसा फल (जो बोओगे वैसा पाओगे )
एक किसान अपने खेत में दो बीज बोता है। किसान एक ही खेत में उस बीज के दो पेड़ लगाता है, एक बीज गन्ने का, दूसरा नीम का।
दोनों पेड़ के लिए खेत में मिट्टी एक ही है, उसके साथ पानी ,हवा ,धुप एक ही है। और तो और, प्रकृति दोनों को समान पोषक तत्व देती है। बीज के छोटे-छोटे पौधे पेड़ बनने लगते हैं। लेकिन निब के पेड़ का क्या होता है? निब के पत्ते में कड़वाहट पाई जाती है। वहीं दूसरी ओर गन्ने के रेशे मिठास से भरे होते हैं।
फिर कुदरत कहो, या चाहो तो कहो भगवान, एक बीज के प्रति इतना दयालु और दूसरे के प्रति इतनी निर्दयी क्यों है? प्रकृति कभी भी न तो परोपकारी है और न ही दुष्ट। प्रकृति सबके लिए समान व्यवहार करती है ।
बीज में पहले से ही मौजूद गुणों को व्यक्त करने में प्रकृति ही मदत करती है। प्रकृति का पोषण बीज में छिपे गुणों को उभरने में भी मदत करती है।
गन्ने के बीज में मिठास होती है इसलिए गन्ने के पेड़ में भी मिठास होती है जबकि नीम के बीज की कड़वाहट को पेड़ के रूप में व्यक्त हो जाता है। अर्थात बीज की तरह ही उसका फल आता !
यदि वो किसान इस नीम के पेड़ के पास जाता है,
उसे तीन बार प्रणाम करता है और प्रणाम करके एक सौ आठ बार परिक्रमा उस पेड़ को करता है , साथ ही उस पेड़ को धूप, दीप, नैवेद्य अर्पित करके प्रार्थना करता है की, ‘हे नीम देवता, मुझे स्वादिष्ट आम चाहिए, कृपया मुझे मीठे मीठे आम दें’।
यहा नीम का पेड़ उसे मीठे आम कहाँ से देगा? वो तो नीम का पेड़ है। उसके पास यह शक्ति नहीं है की वह मीठे आम दे पाएगा। मीठे आम चाहिए तो नीम के बीज नहीं, आम के बीज बोने चाहिए।
(जो बोओगे वैसा पाओगे ) हिंदी कहानी
अगर वह किसान ऐसा करता है तो उसे रोने, गिड़गिड़ाने या किसी से मदत मांगने की जरूरत नहीं पड़ती। उसे जो फल मिलता है वह मीठे आम के अलावा कहासे नहीं मिल सकता ।
क्योंकि जैसा बीज होता है वैसा ही उसका फल होता है। किसान जो बीज बोएगा वैसा ही वो फल पायेगा। यही प्रकृति का नियम है ।
हमारी अज्ञानता यह है कि हम बीज बोते समय बेपरवाह और लापरवाह रहते हैं। बोते समय हम नीम के बीज बोते हैं, लेकिन जब फल चखने का समय आता है, तो हम उतावले होकर उठते हैं और उम्मीद करते हैं, हम आम के मीठे फल को चाहते हैं और उसके लिए रोते हैं। उसके लिए प्रार्थना करने लगते है।
प्रार्थना पूरी होने की आशा करते है। लेकिन दुनिया में ऐसा कभी नहीं होता कि जब नीम का बीज बोया जाए तो फल आम का हो। नीम पर कभी आम का फल नहीं लगेगा। क्या आप स्वादिष्ट आम का फल चाहते हैं? फिर आम के बीज बोने होंगे न की नीम के।
जीवन में भी हमे अच्छे फल पाना है तो उसके लिए हमे कर्म के अच्छे बीज बोने होंगे।
जो बोओगे वैसा पाओगे।
प्रकृति सबके लिए समान व्यवहार करती है।
प्रेम के बदले प्रेम मिलेगा, द्वेष के बदलें द्वेष मिलेगा, करुणा के बदलें करुणा मिलेंगी, प्रकृति किसी के ऊपर अन्याय नहीं होने देती।
लोग बुरे कर्म करते है और हमारी अज्ञानता यह है कि हम बीज बोते समय बेपरवाह और लापरवाह रहते हैं और बाद में प्रार्थना पूरी होने की आशा करते है।
तो दोस्तों यह कहानी आपको कैसी लगी कमेंट करके जरूर बताना।
आपका दोस्त – www.boldost.com