मिडिल क्लास ट्रैप : आप सभी ने माउस ट्रैप यानी चूहेदानी देखा होगा। जिसमें हम लोग जब घर में चूहे ज्यादा हो जाते हैं तो उसे फसाने के लिए हम माउस ट्रैप बिछाते हैं। उसमें रोटी या फिर चूहों के खाने की चीज को फंसा देते हैं। जैसे ही चूहा उस खाने की तरफ आता है, तो वह माउस ट्रैप में फंस जाता है। इस माउस ट्रैप के बारे में तो हमें पता है।
लेकिन एक इसी तरह के ट्रैप में मिडिल क्लास (मध्यम वर्गीय) लोग फासते जा रहे हैं।
सभी मद्यम वर्ग का प्रॉब्लेम :मिडिल क्लास ट्रैप क्या है?
‘Middle class trap’ एक ऐसा ट्रैप है जिसमें हमें अमीर बनने के सपने दिखाए जाते हैं। अमीरों की तरह कैसे रहना है, चाहे वह बैंक हो जो हमें लोन देकर हमें अपने ट्रैप में फसाते हैं। या फिर किसी बड़ी आलीशान कंपनी का मालिक जो हमें महंगे सामान बेचकर हमें अपनी औकात से बाहर खर्च करने के लिए मजबूर करता है।
इसी तरह हमें जहां पैसा दिखाई देता है, तो हम इसी तरह बढ़ते जाते हैं और उस चूहे की तरह हम ट्रैप मैं फसते जाते हैं। जिसमें से बाहर निकलना हमारे लिए नामुमकिन हो जाता है। कहते हैं गरीब होने से ज्यादा बुरा है एक मिडिल क्लास होना। क्योंकि एक मिडिल क्लास इंसान अमीर होने की ख्वाहिश और गरीब होने के डर के बीच में हमेशा फंसा रहता है।
हमारे देश की जनसंख्या लगभग 142 करोड़ से ज्यादा है। भारत की जनसंख्या इस साल के अप्रैल महीने में चीन को पीछे छोड़कर दुनिया की सबसे बड़ी जनसंख्या बन गई थी। इसमें से देश की 30% जनसंख्या मध्यवर्गीय यानी मिडिल क्लास में आती है। आने वाले समय में तो यह मध्यम वर्गीय जनसंख्या बढ़कर लगभग दुगनी होने वाली है।
हमारे देश के यही 30 प्रतिशत मिडिल क्लास लोग आज ऐसी स्थिति में खड़े हैं, जहां से इन्हें कुछ दाने दिखाई दे रहे हैं और उन दानों को खाने के लिए यह लोग एक ऐसे ट्रैक में कदम रख रहे है जहां से बाहर निकल पाना असंभव है। बिल्कुल उस माउस ट्रैप में फंसे चूहे की तरह।
आज आप जहां हो और आज से 10 साल बाद भी आप उसी जगह फंसे रहना चाहते हो और मिडिल क्लास जीवन आपको बढ़िया लग रहा है, तो यह आर्टिकल आपके लिए नहीं है। पर अगर आप यह जानना चाहते हो कि इतने सालों से आप या आपके मां बाप क्या गलती कर रहे थे, जिसकी वजह से घर में पैसों को लेकर आज तक परेशानी होती रहती है, तो इसे बहुत ध्यान से पूरा पढ़ना और समझने की कोशिश करना।
तो आईए जानते हैं 6 मिडिल क्लास ट्रैप और उन पर कुछ सॉल्यूशन।
दोस्तों, किसी भी देश की जनसंख्या को इनकम के हिसाब से तीन कैटिगरीज में बांटा जाता है। उच्च वर्गीय (upper class), निम्न वर्गीय (lower class) और इन दोनों के बीच दबा हुआ होता है, मध्यम वर्गीय (middle class). हमारे भारत में मिडिल क्लास की कोई एक परिभाषा नहीं है। अलग-अलग अध्ययनों में अलग-अलग मापदंडों का उपयोग करके मिडिल क्लास को परिभाषित किया गया है।
र आय के आधार पर, भारत में मिडिल क्लास को आमतौर पर उन लोगों के रूप में परिभाषित किया जाता है जिनकी वार्षिक आय 1.09 लाख से 6.46 लाख रुपये के बीच होती है। यह आंकड़ा 2020-21 की कीमतों के आधार पर है। लेकिन गुजरते हुए वक्त के साथ और महंगाई दर के हिसाब से भारत में मिडिल क्लास उस इंसान को कहा जाता है जिसकी सालाना आय 5 लाख से 30 लाख के बीच होती है यानी महीने के 50000 से 60000।
यह आय छोटे शहरों में रहने वाले लोगों के लिए कम हो सकती है, क्योंकि छोटे शहरों में रहने की लागत बड़े शहरों की तुलना में कम होती है। अब मिडिल क्लास वालों की प्रॉब्लम यह है कि इन्हें हर चीज बेस्ट चाहिए। बेस्ट गाड़ी, बेस्ट घर, बच्चों की बेस्ट एजुकेशन और बेस्ट लाइफस्टाइल ताकि हम भी अमीर दिख सके।
आज का एक मिडिल क्लास बच्चा जिसको बचपन से सिर्फ सिखाया जाता है अच्छी पढ़ाई करो अच्छा काम करो क्योंकि बड़े होकर पैसे कमाना है। फिर जब वह बच्चा कॉलेज जाता है, वहां भी उसे यही बात बताई जाती है अच्छे से पढ़ाई करो, स्कोर अच्छा करो, नहीं तो आगे चलकर कोई भी नौकरी नहीं देगा।
जब 21 साल पढ़ाई के बाद उसे एकदम से जंगल में छोड़ दिया जाता है। ‘ज्या बेटा पैसा कमा, और जल्दी-जल्दी अमीर बन जा, इस मिडिल क्लास की चेन को ब्रेक कर दे।’ यानी 21 साल में पैसे कमाने कैसे हैं? कैसे बचाना है? यह किसी ने नहीं बताया। पर सफलता जल्दी से जल्दी चाहिए। सपने तो पूरे करने हैं ना? इन सभी सपनों को पूरा करने के लिए हम मिडिल क्लास लोग कुछ ऐसी गलतियां कर बैठते हैं, जहां से वह चाहकर भी बाहर नहीं आ सकता। जिसकी वजह से स्ट्रेस, चिंता, मेंटल प्रेशर यह सब कुछ बढ़ता जाता है। तो अगर आप भी कुछ ऐसी गलतियां कर रहे हो तो आज ही रुक जाओ।
- मिडिल क्लास ट्रैप नंबर 1 –
“कमाओ खाओ और उड़ाओ”
(Never learning the earn save and invest rule)
आज का मिडिल क्लास वह सारे काम कर रहा है, जिससे वह लोअर इनकम क्लास में आ जाए। इनका बस एक ही फंडा है, “कमाओ खाओ और उड़ाओ।” पैसा कमाते समय तो एक मिडिल क्लास इंसान खूब सोचता है, मेहनत करता है। पर उसे खर्च करते वक्त बिलकुल अंधा हो जाता है। इनका मानना है कि जो जीना है आज में जीओ कल किसने देखा है। आपको एक उदाहरण देते हुए समझता हूं।
नमन एक कॉर्पोरेट एम्पलाई है। वह महीने का ₹50000 कमाते है। अब बात यह है कि नमन का ऑफिस उनके घर से काफी दूर है। इसलिए वह ओला या उबर करके जाते है, जिसमें उनका किराया ₹200 से ₹300 पड़ जाता है। अब नमन ने देखा कि महीने में 20 दिन ऑफिस जाना है, तो उस हिसाब से कॅब से आने जाने का खर्चा 20 × 300 = 6000 यानी साल के हुए 72000 रुपए। अब नमन ने सोचा क्यों न 10 लाख रुपए की गाड़ी ले लेता हूं।
आना जाना आसान होगा। इसलिए बिना कुछ सोचे समझे नमन ने 10 लाख रुपए की गाड़ी खरीद ली। अब नमन के पास इतने पैसे तो नहीं थे, कि वह एक साथ यह 10 लाख रुपए चुका दें। तो जाहिर सी बात है कि, इसके लिए नमन को लोन लेना पड़ेगा।
अगर नमन को 10 लाख रुपए का लोन 9% ब्याज दर से 5 साल में चुकाना है, तो हर महीने 20,758 रुपए तो EMI में देने होंगे। यानी कि नमन के सैलरी का लगभग 40% हिस्सा तो EMI में चला जाएगा। नमन को 5 साल में ब्याज के साथ पूरी कीमत चुकानी होगी, जो होती है 12 लाख 45 हजार 501 रुपए। जहां नमन ऑफिस आने जाने के लिए 6000 खर्च कर रहे थे, अब 20000 रुपए तो हर महीने EMI देनी पड़ेगी। नमन चाहते तो उनके पास दो ऑप्शन थे, पहला या तो वह कोई सस्ती सेकंड हैंड कार ले लेते।
पर वह ऐसा कैसे करते उनको तो दोस्तों को भी दिखाना था ना कि भाई मेरे पास भी महंगी कार है। दूसरा ऑप्शन यह है कि वह एक ऐसी जगह फ्लैट किराए पर ले लेते जो उनके ऑफिस के पास होता। पर नमन जैसे लोगों की यही दिक्कत है कि वह बिना सोचे समझे एक्शन ले लेते हैं, और मिडिल क्लास वाली लाइफ में फंसे रहते हैं। यह एक ऐसी गलती है, जो एक मिडिल क्लास इंसान को हमेशा मिडिल क्लास बनाए रखने में सबसे ज्यादा मदद करती है।
क्योंकि, हम पैसे तो कमाते हैं, पर उन पैसों को सेव करना या इन्वेस्ट करना नहीं सीखते। बल्कि अपनी बुद्धि का उपयोग पैसों को इधर-उधर खर्च करने में करते हैं और जब तक एहसास होता है तब तक आपके पास बहुत सारी लायबिलिटी इकट्ठा हो चुकी होती है।
- मिडिल क्लास ट्रैप नंबर 2 –
सच्चा दोस्त… लोन और क्रेडिट कार्ड
‘फाइनेंशियल एक्सप्रेस‘ मे छपे एक रिपोर्ट के अनुसार 67% इंडियन पर्सनल लोन और क्रेडिट कार्ड जैसी चीजों पर निर्भर करते हैं। मिडिल क्लास इंसान की सबसे बड़ी प्रॉब्लम यही है कि उसने कर्जो को, EMI को, क्रेडिट कार्ड को अपना जीवन साथी बना लिया है। उनकी हर समस्या का समाधान लोन लेकर हो जाता है। - दरअसल इनका सबसे बड़ा रीजन है मिडिल क्लास इंसान की कमाई और उसके खर्चो के बीच संतुलन ना होना। ‘The 80/20 Rule’ यह कहता है कि आपका खर्च हमेशा आपकी इनकम के 80% से ज्यादा नहीं होने चाहिए। पर होता क्या है कि हमारा मिडल क्लास इंसान अपनी और अपनी बीवी बच्चों की ख्वाहिशों को पूरी करने के लिए इस लिमिट को बढा देता है, और उसे लोन का सारा लेना पड़ जाता है। इसे भी मैं एक उदाहरण से समझाता हूं।
वैभव एक 24 वर्षीय लडका है जो मिडिल क्लास की परिभाषा के अनुसार महीने में ₹50,000 कमाता है। 80% नियम के अनुसार, वह हर महीने ₹40,000 से अधिक खर्च नहीं कर सकता है, और यह उसका बेसिक खर्च भी है। वैभव की शादी तय हो चुकी है। एक दिन वैभव की होने वाली पत्नी ने मोबाइल फोन की मांग रखी जिसकी कीमत ₹25,000 थी।
तो कुल खर्च हो गया ₹40,000 + ₹25,000, यानी ₹65,000। अब, वह या तो अपनी बचत से फोन खरीद सकता था या लोन ले सकता था। जब वह दुकान पर गया, तो उसे पता चला कि वही सेम फोन ₹1,500 की मासिक EMI पर उपलब्ध है। ₹50,000 महीने कमाने वाले के लिए ₹1,500 की मासिक EMI क्या ही है! तो उसने EMI पर फोन ले लिया।
पर एक बार जब वैभव ने EMI बनवाया, तो मानो उसके लिए स्वर्ग का द्वार खुल गया हो। अब, वह हर दूसरी चीज खरीदने के लिए लोन ले लेता, या क्रेडिट कार्ड स्वाइप करने लगता। सब कुछ बहुत आसान हो गया। ‘मेरा यार, क्रेडिट कार्ड’ पर यह स्वर्ग दिखाई देने वाली चीज कब उसके लिए नर्क का द्वार खोल गई उसे पता भी नहीं चला।
क्योंकि जैसे ही आप एक लोन लेते हैं या EMI शुरू करते हैं, आप पूरी तरह से उससे बंध जाते हैं। आप अपने लिए नहीं बल्कि लोन देने वाली कंपनी के लिए काम करना शुरू कर देते हैं। हर महीने जो पहले खर्च बच्चों की शिक्षा और मेडिकल पर खर्च होना चाहिए था, वह EMI देने में निकल जाता है, और एक कभी न खत्म होने वाला जाल शुरू हो जाता है, जिससे आप चाहकर भी निकल नहीं सकते। तो हो सके तो लोन, क्रेडिट कार्ड और कर्ज से दूर रहो।
- मिडिल क्लास ट्रैप नंबर 3 –
खाओ पियो ऐश करो
(Unnecessary expenses on food)
मिडिल क्लास इंडियन की तीसरी सबसे बड़ी गलती जिस वजह से वह आर्थिक और शारीरिक रूप से फिट नहीं रह पाता है, वह है भोजन पर अनावश्यक खर्च करना। मतलब, आजकल तो नासा और इसरो के वैज्ञानिकों से ज्यादा भारतीय खाने के साथ प्रयोग करते हैं। मिडिल क्लास मानसिकता यह मानती है कि जो करना है, आज ही करना है, और वह खाना हमें सबसे ज्यादा संतुष्टि देता है, उसे खाना है। - इसलिए, तुरंत फोन उठाया, जोमैटो, स्विग्गी से खाना ऑर्डर कर दिया। पहले के जमाने में, लोगों का औसत भोजन का खर्च काफी कम रहता था, इसलिए वे अधिक फिट और स्वस्थ भी रहते थे। लेकिन आज, हर मिडिल क्लास भारतीय का मासिक औसत भोजन खर्च ₹26,000 है।
देखो, मैं यहां पर आपको खाने से मना नहीं कर रहा और किसी चीज के खिलाफ भी नहीं हूँ। बस यह कहना चाहता हूँ कि भोजन को एक बुनियादी आवश्यकता मानते हैं, इसलिए उसमें किए गए खर्च को हम कभी कैलकुलेट नहीं करते। लेकिन अगर ध्यान से देखा जाए, तो एक मिडिल क्लास सबसे ज्यादा खाने-पीने में खर्च करता है। अगर खाना ही खाना है, तो हेल्दी खाओ, अच्छा खाओ, जिससे तुम्हारी आर्थिक और शारीरिक दोनों तरह की सेहत अच्छी रहे।
- मिडिल क्लास ट्रैप नंबर 4 –
शिक्षा में अत्यधिक खर्च करना
(Over spending in education)
अब आप में से बहुत से लोग शायद इसके बारे में मुझसे सहमत नहीं होंगे, कि ओव्हरस्पेंडिंग क्या होता है। पढ़ेंगे नहीं तो आगे कैसे बढ़ेंगे।
लेकिन, आपको ‘3 इडियट्स मूवी’ का वह सीन तो याद ही होगा, जिसमें फरहान के पिताजी उसके पैदा होते ही तय कर लेते हैं कि मेरा बेटा तो इंजीनियर बनेगा। देखिए, हर मिडिल क्लास फैमिली और पेरेंट्स अपने बच्चों का अच्छा भविष्य देखना चाहते हैं, और उसके लिए हर वह संभव कोशिश करते हैं, ताकि अपने बच्चों को अच्छी से अच्छी शिक्षा दे सकें। अब, इसमें कोई गलत बात नहीं है, लेकिन मिडिल क्लास आदमी की एक सबसे बड़ी दिक्कत यह है कि वह जेब से तो मिडिल क्लास है, लेकिन दिमाख से अमीर।
इसलिए बेस्ट से बेस्ट स्कूल और बेस्ट से बेस्ट हॉस्टल में अपने बच्चों को पढ़ने के लिए भेज देते है। ‘द इकोनामिक टाइम्स, के एक आर्टिकल के अनुसार, इंडियन प्राइवेट स्कूल के एक बच्चे की 12 वी तक की एजुकेशन के लिए 30 लाख तक चार्ज कर देते हैं, और फ्यूचर एजुकेशन के लिए यह कॉलेज की फीस 20 लाख तक पहुंच चुकी है, जिसका टोटल होता है 50 लाख रुपए। सिर्फ इतना ही नहीं, बल्कि आजकल तो ट्रेंड चला हुआ है विदेश जाकर कॉलेज करने का, मास्टर करने का, जिसमें 50 लाख से 1 करोड़ तक से ज्यादा का खर्च आता है। अब, एक अमीर आदमी पहले से ही अमीर है, उसके पास इतने पैसे होते हैं जो अपने बच्चों को इस तरह के एजुकेशन दे भी पाते हैं। लेकिन एक मिडिल क्लास इनके पास कोई एसेट नहीं होते हैं, इसलिए बच्चों को हायर एजुकेशन के लिए लोन लेते हैं, जिसकी वजह से ट्रैप में फंस जाते हैं और वह बेचारा बच्चा जॉब लगते ही लोन को वापस चुकाने में लग जाता है। यानी Trap Continue…
- मिडिल क्लास ट्रैप नंबर 5 –
स्वास्थ्य की देखभाल पर कम ध्यान, कोई इंश्योरेंस नहीं
(Less focus on health, no insurance)
एजुकेशन पर मिडिल क्लास लोगों का इतना ज्यादा फोकस रहता है कि वह हेल्थ केयर और इंश्योरेंस जैसी चीजों पर कभी ध्यान नहीं देते। यानी, शिक्षा के लिए उन्हें लोन लेना मंजूर है, एक करोड़ तक का खर्च करना मंजूर है। लेकिन खुद की फैमिली, अपने माता-पिता की हेल्थ के लिए हजार रुपए भी उन्हें वेस्ट खर्चा लगता है। अब देखो, अगर तुम जंक फूड खाओगे, ऑफिस जाओगे, लोन चुकाने के लिए काम करोगे, तो तुम्हारी फिजिकल और मेंटल हेल्थ पर इफेक्ट होगा ना? और इंश्योरेंस इसलिए बनाई जाती है ताकि जरूरत के समय, इमरजेंसी सिचुएशन में आपको अपनी सेविंग्स ना तोड़नी पड़े, या किसी के सामने हाथ न फैलाना पड़े। पर अफसोस की बात तो यह है कि यह सब कुछ जानने के बाद भी बहुत कम मिडिल क्लास लोगों का इंश्योरेंस होता है। और अगर होता भी है, तो बहुत ही कम अमाउंट का। आज भी हम लोग हेल्थ जैसे टॉपिक को, इंश्योरेंस जैसी एक्सपेंस को सबसे लास्ट प्रायोरिटी देते हैं, जबकि इंश्योरेंस हमारी लिस्ट में सबसे पहले आना चाहिए। - मिडिल क्लास ट्रैप नंबर 6 –
सेवानिवृत्ति को नजरअंदाज करना
(Ignoring retirement)
मैं आपसे एक सवाल पूछता हूं। आपका रिटायरमेंट प्लान क्या है? जरा एक सेकंड सोच कर देखो, और अगर आप जवाब नहीं दे पाए, तो इसका मतलब है कि आपके पास कोई प्लान नहीं है, और आप अभी भी इसे विकसित कर रहे हैं। यह सिर्फ आपकी बात नहीं है, बल्कि भारत के अधिकांश लोगों को यह पता ही नहीं है कि रिटायरमेंट प्लान नाम की कोई चीज भी होती है। उनके लिए रिटायरमेंट का मतलब नौकरी से छुटकारा और पेंशन का आनंद लेना होता है। जबकि रिटायरमेंट का सही मतलब एसेट बिल्ड करना है, एक ऐसी पैसिव इनकम सोर्स बनाना है, ऐसे निवेश करना जिससे आपको रिटायरमेंट के बाद भी मासिक आय मिलती रहे। और इसके लिए आपको 60 की उम्र तक इंतजार नहीं करना। लाइफ को और अपने फाइनेंस को इग्नोर करके आप कहीं नहीं पहुंच सकते। और आज का मिडिल क्लास ऊपर बताई गई सभी गलतियां कर रहा है, जिस वजह से वह और ट्रैक में फसता चला जाता है।
पर चिंता की बात नहीं क्योंकि इस पर सॉल्यूशन भी है। तो चलिए उनके कुछ सॉल्यूशन जानते हैं।
सॉल्यूशन नंबर 1 बजेटिंग
अगर आप अपनी इनकम के हिसाब से अपने खर्चों को बजट करेंगे, तो आपको कभी भी लोन का सहारा नहीं लेना पड़ेगा और अगर कोई लोन लेना पड़ जाता है, तो एक ऐसा बजट बनाएं जिससे वह लोन जल्दी से जल्दी चुकाया जा सके। बजट बनाने से यह भी फायदा होगा कि आप अपने फालतू और एक्स्ट्रा खर्चों को भी ट्रैक कर पाएंगे। और “कमाओ, खाओ और उड़ाओ” वाली मानसिकता छोड़कर “सेव एंड इन्वेस्ट” वाली मानसिकता अपना पाएंगे।
सॉल्यूशन नंबर 2: इनकम मेंबर बढ़ाना
हमारे भारत में हर पांच में से सिर्फ एक ही महिला सेल्फ-इंडिपेंडेंट यानी वर्किंग प्रोफेशनल्स हैं। बाकी ज्यादातर भारतीय महिलाओं का ऑक्यूपेशन हाउसवाइफ हि है। अगर आपको अपने बच्चों को बेस्ट क्वालिटी एजुकेशन देनी है, बेस्ट से बेस्ट कॉलेज में पढ़ाना है, बेस्ट से बेस्ट हॉस्पिटल में अपने पेरेंट्स का इलाज करवाना है, तो आपको इनकम मेंबर बढ़ाने होंगे। “मेल इगो, अहंकार के चक्कर में खुद के पूरे खानदान को कर्ज में डुबाने वाले लोग समाज को गलत नॅरेटिव दिखा रहे हैं। आज हम 1947 में नहीं बल्कि 2023 में जी रहे हैं, जहां महंगाई आसमान छू गई है। चारों तरफ अनइंप्लॉयमेंट की मार पड़ी हुई है। उसमें यह उम्मीद करना कि एक आदमी सब कुछ संभाले, तो यह थोड़ा मुश्किल है। यूट्यूब, सोशल मीडिया, ब्लॉगिंग, फ्रीलांसिंग आज की डेट में ऐसे इनकम सोर्स बन गए हैं जो आपके घर बैठे-बैठे एक अच्छा खासा पैसा अर्न कर सकते हैं। आज से ही घर बैठे इनकम शुरू कर सकते हैं। 3 से 6 महीने में कोई भी स्किल सीख कर आप काम शुरू कर सकते हो और घर बैठकर एक साइड इनकम शुरू कर सकते हो।
सॉल्यूशन नंबर 3: रिटायरमेंट के लिए सेविंग करना
स्टॉक मार्केट, म्युचुअल फंड आपके रिटायरमेंट के सबसे अच्छे साथी बन सकते हैं। इन्वेस्टिंग शुरू करके आज से ही अपने रिटायरमेंट के लिए प्लान करना शुरू करें। हमारे एक आर्टिकल में म्युचुअल फंड के बारे में पूरी जानकारी दी गई है। आप इस लिंक पर क्लिक करके म्युचुअल फंड के बारे में पढ़ सकते हैं। https://boldost.com/?p=2308
साथ ही, एक बेहतर रिटायरमेंट के लिए आप एक प्रॉपर्टी भी एक्वायर कर सकते हैं। कमर्शियल और रेसीडेंशियल, कुछ भी। इससे आपको हर महीने रेंट के रूप में इनकम आती रहेगी। पैसे कमाने के साथ पैसे बचाएं और निवेश करें। खर्चों पर नियंत्रण रखें और हेल्थ इंश्योरेंस को इग्नोर न करें। अपनी रिटायरमेंट के लिए आज ही प्लान करें। नहीं तो ट्रैप पर एक पैर तो आपने रख दिया है। बस उसमें पूरी तरीके से गिरने की देरी है। जैसे ही आप अपना दूसरा पैर भी उसमें डाल देंगे, आप जिंदगी भर के लिए उसमें फंसे रह जाएंगे।
तो यह थे वह 6 मिडल क्लास ट्रैप, जिसमें एक मिडिल क्लास जकड़ता जा रहा है। आप इसमें से किस ट्रैप में फंसे हुए हो, कमेंट करके बताइए। अगर यह आर्टिकल पसंद आया है तो अपने दोस्तों के साथ भी जरूर शेयर करिए। आपका बहुत-बहुत धन्यवाद
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