म्युचुअल फंड : अगर आप बचत और पैसा निवेश करने में रुचि रखते हैं तो आपने ‘म्यूचुअल फंड’ के बारे में जरूर सुना होगा। अक्सर लोग सोचते हैं कि म्यूचुअल फंड में निवेश करना बहुत जोखिम भरा है। ऐसा सच में होता है या नहीं, यह जानने के लिए आपको म्यूचुअल फंड के बारे में जानकारी होनी चाहिए।
म्युचुअल फंड क्या होता है?
इसीलिए हम आज इस आर्टिकल के माध्यम से जिन लोगों को म्युचुअल फंड के बारे में जानकारी नहीं है उन्हें इसके बारे में सारी जानकारी विस्तारपूर्वक आसान तरीके से देने की कोशिश करेंगे। साथ ही जो लोग म्युचुअल फंड के बारे में जानते हैं और इसमें निवेश करते हैं उनका मार्गदर्शन करने की कोशिश करेंगे, ताकि वे सही निवेश का चयन करके अपने बचत के पैसों को और अधिक बढ़ा सके, अपने सपनों को पूरा कर सके। इसके साथ ही बैंकों से ज्यादा म्युचुअल फंड में निवेश बढ़ाने के कारणों को भी जानेंगे। यह आर्टिकल लंबा होने वाला है, पर म्युचुअल फंड के बारे में अच्छी तरह से जानने के लिए यह पूरा आर्टिकल पढ़ना जरूरी है।
- हम इसके बारे में जानेंगे –
- म्युचुअल फंड मे पिछले तीन सालों में हुई वृद्धि
- म्युचुअल फंड में हुई वृद्धि बैंकों के लिए चिंता का विषय
- बैंक निवेशकों के पैसे का क्या करता है
- लोग बैंक में निवेश नहीं करेंगे तो इसके परिणाम
- निवेशकों का रुझान बैंकों से ज्यादा म्युचुअल फंड की ओर बढ़ने के कारण
- म्युचुअल फंड क्या होता है? म्युचुअल फंड कैसे काम करता है और इसकी शुरुआत भारत में कब हुई थी
- म्युचुअल फंड में निवेश करने के फायदे
- म्युचुअल फंड में निवेश करने के नुकसान
- म्युचुअल फंड निवेश पर होने वाले नुकसान से कैसे बचा जा सकता है
- म्युचुअल फंड के प्रकार
- म्युचुअल फंड यूनिट
- NFO – न्यू फंड ऑफर (New Fund Offer) क्या है
- NAV – नेट ऐसेट वैल्यू (Net Asset Value) क्या है
- SEBI (Securities and Exchange Board of India) क्या है और इसकी म्युचुअल फंड में क्या भूमिका है
- स्टॉक और म्युचुअल फंड में अंतर
- म्युचुअल फंड में निवेश कैसे करें
- म्युचुअल फंड में निवेश करने के लिए सबसे अच्छा समय कौन सा होता है
- म्यूचुअल फंड में निवेश करने के लिए कौन–सी फंड हाउस सबसे अच्छी है?
- म्युचुअल फंड निवेश में क्या धोखाधड़ी हो सकती है और धोखाधड़ी होने से कैसे बचा जा सकता है
- म्युचुअल फंड निवेश कितना सुरक्षित होता है
और आखिर में एक बोनस टिप्स
- म्युचुअल फंड में निवेश करके करोड़पति बनने का प्लान
वह दिन चले गए जब लोग अपनी भविष्य की सुरक्षा के लिए केवल अपनी बचत पर निर्भर रहते थे। आज के महंगाई के जमाने में सिर्फ बचत करके काम नहीं चलता। अपने बचत किए हुए पैसे सही जगह निवेश करना चाहिए ताकि उस पर अच्छी रिटर्न मिल सके। इसलिए देश में निवेश करने का ट्रेंड बढ़ता जा रहा है। आजकल हर आदमी के पास अपनी मेहनत करके जमा किए पैसे को निवेश करके उस पर मोटा मुनाफा कमाने के कई विकल्प मौजूद है। पहले केवल बुजुर्ग, वरिष्ठ नागरिक ही अपने भविष्य की आर्थिक सुरक्षा के लिए निवेश करते थे, लेकिन 21 वीं सदी के नए भारत में अब देश का हर युवा भी निवेश में बढ़ चढ़कर हिस्सा ले रहा हैं। यह अच्छी बात है कि लगभग सभी लोग आज निवेश कर रहे हैं। कोई अपने आने वाले कल में रिटायरमेंट के लिए शेयर बाजार में निवेश कर रहा है। कोई अपना घर खरीदने के लिए पैसे बचाकर म्युचुअल फंड में निवेश कर रहा है। कोई अपने बच्चों की अच्छी शिक्षा या शादी के लिए बॉन्ड में निवेश कर रहा है। तो कोई अमीर व्यक्ति अपने पैसे को बढ़ाने के लिए रियल एस्टेट में निवेश कर रहा है। सबके अपने अलग-अलग व्यक्तिगत कारण, सपने हैं और अपने पैसे कहां निवेश करना चाहिए इस पर अपनी अलग-अलग राय।
जो लोग आज के जमाने भी सिर्फ बचत ही करते हैं, निवेश नहीं, शायद ही उनके सपने इस महंगाई के दौर में पूरे होंगे। आपके घर पर या बैंक के लॉकर में रखें आपके बचत के पैसों में उसे और अधिक बढ़ाने की क्षमता नहीं है। इसीलिए आपको सही जगह पर निवेश जरूर करना चाहिए, ताकि बचत, कंपाउंडिंग और निवेश से मिलने वाले रिटर्न से आपको और अधिक फायदा हो, और आप अपने सपनों को पूरा कर सको, या फिर किसी आर्थिक संकट के समय आपको किसी के आगे हाथ फैलाने की जरूरत ना पड़े।
पहले लोग निवेश के लिए अक्सर बैंकों का सहारा लेते थे। लेकिन हाल के समय में एक बड़ा बदलाव देखने को मिल रहा है। निवेशकों का रुझान बैंकों से ज्यादा म्युचुअल फंड की ओर बढ़ रहा है। अच्छे रिटर्न और सुरक्षित निवेश के कारण म्युचुअल फंड की ओर निवेशकों के झुकाव को बढ़ा दिया है। इससे म्युचुअल फंड की लोकप्रियता लगातार और भी ज्यादा बढ़ती जा रही है।
- पिछले 3 साल में म्युचुअल फंड निवेश 24 फीसदी बढ़ा
2019-20 से 2022-23 तक के तीन सालों में म्यूचुअल फंड में वृद्धि दर 24.8% रहा। इन तीन सालों में म्यूचुअल फंड की कुल संपत्ति (Assets Under Management, AUM) 2019-20 में ₹16.39 लाख करोड़ से बढ़कर 2022-23 में ₹39.42 लाख करोड़ हो गई। लेकिन, इन 3 सालों के समय में बैंकों की जमा राशि में वृद्धि सिर्फ 10% ही रही।
- अगस्त महीने म्युचुअल फंड में निवेश करने का बना रिकॉर्ड
ऑगस्ट 2023 में SIP के माध्यम से म्यूचुअल फंड में रिकॉर्ड 15,813 करोड़ रुपये का निवेश हुआ। यह निवेश पिछले साल के ऑगस्ट महीने की तुलना में 65% अधिक है। कोविड महामारी से पहले म्यूचुअल फंड की निवेश में हिस्सेदारी 13% थी। यह अब बढ़कर 20% हो गई है।
- बैंकों के लिए चिंता का विषय
बैंक ऑफ बड़ौदा की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि म्यूचुअल फंड की लोकप्रियता बढ़ने से बैंकों में जमा डिपॉजिट कम होने का जोखिम पैदा हो सकता है। इस पर बैंक ऑफ़ बड़ौदा ने चिंता जताई है। बैंकों में जमा डिपॉजिट ही बैंकों के लिए एक महत्वपूर्ण स्रोत है, क्योंकि बहुत सारे लोग निवेश करने के लिए बैंकों से ज्यादा म्युचुअल फंड को पसंद कर रहे हैं। इसीलिए बैंकों में उतना पैसा नहीं जा पाएगा। इसीलिए बैंक ऑफ बड़ौदा की चिंता जायज है। आने वाले समय में सभी बैंकों के लिए यह विषय सर दर्द का कारण बन सकता है।
- बैंक निवेशकों के पैसे का उपयोग
- जमाकर्ताओं को कर्ज देने के लिए –
बैंक जमाकर्ताओं के पैसों का उपयोग व्यवसायों और व्यक्तियों को कर्ज देने के लिए करते हैं। कर्ज व्यवसायों को विस्तार करने और नए रोजगार तयार करने में मदद करते हैं। वे लोगों को घर खरीदने, कार खरीदने या अन्य बड़े खर्चों को पूरा करने में भी मदद करते हैं।
- अन्य बैंकों और वित्तीय संस्थानों को कर्ज देना –
बैंक अन्य बैंकों और वित्तीय संस्थानों को भी कर्ज देते हैं। यह वित्तीय प्रणाली को सुचारू रूप से चलाने में मदद करता है।
- अपने स्वयं के व्यवसाय को चलाना –
बैंक अपने स्वयं के व्यवसाय को चलाने के लिए भी अपने निवेशकों के पैसे का उपयोग करते हैं। इसमें नई शाखाएं खोलना, नई सेवाएं प्रदान करना और अपने कर्मचारियों को वेतन देना शामिल है।
- सरकार को कर्ज देना –
बैंक सरकार को भी कर्ज देते हैं। यह सरकार को सार्वजनिक सेवाओं और बुनियादी ढांचे का विकास करने में मदद करता है।
- यदि लोग बैंक में निवेश नहीं करेंगे, तो इसके परिणाम होंगे –
- कर्ज की उपलब्धता में कमी –
बैंकों के पास कर्ज देने के लिए कम पैसा होगा। इससे व्यवसायों और व्यक्तियों को कर्ज प्राप्त करना अधिक कठिन हो जाएगा।
- सरकार के लिए कर्ज लेना अधिक कठिन होगा –
सरकार को आर्थिक रूप से सक्षम करने के लिए बैंकों पर कम निर्भरता होगी। इससे सरकार को कर्ज लेना अधिक कठिन हो जाएगा।
- वित्तीय प्रणाली में अस्थिरता –
बैंकों के पास अपने स्वयं के व्यवसाय को चलाने के लिए भी कम धन होगा। इससे वित्तीय प्रणाली में अस्थिरता बढ़ सकती है।
कुल मिलाकर, बताया जाए तो हमारा पैसा घूमता रहता है। लोगों द्वारा बैंकों में निवेश हि लोगों और बैंकों दोनों के लिए एक महत्वपूर्ण स्रोत और एक प्रकार की सेवा है। यह व्यवसायों और व्यक्तियों को कर्ज प्राप्त करने की अनुमति देता है, सरकार को आर्थिक रूप से मजबूत करता है, और वित्तीय प्रणाली को सुचारू रूप से चलाता है। यदि लोग बैंक में निवेश नहीं करेंगे, तो इससे लोगों और अर्थव्यवस्था के लिए कई नुकसान हो सकते है। हर बात के फायदे और नुकसान होते हैं। दूसरी तरफ म्यूचुअल फंड की वृद्धि भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए अच्छी खबर है। इससे निवेशकों को अधिक विकल्प उपलब्ध होते हैं और अर्थव्यवस्था को गति मिलती है।
- निवेशकों का रुझान बैंकों से ज्यादा म्युचुअल फंड की ओर बढ़ने के कुछ कारण इस प्रकार है –
- बैंक ब्याज दरों में कमी –
पिछले कुछ वर्षों में, बैंकों ने अपने बचत खातों और फिक्स्ड डिपॉजिट (FD) की ब्याज दरों में लगातार कमी की है। इससे, निवेशकों को बैंकों में निवेश से कम रिटर्न मिलने लगा है।
- इक्विटी बाजार में बढ़ती तेजी –
2020 से लेकर अब तक, भारतीय इक्विटी बाजार में मजबूत वृद्धि हुई है। इससे, निवेशकों को म्यूचुअल फंडों में निवेश से अधिक रिटर्न मिलने की उम्मीद बढ़ी है।
- म्युचुअल फंड में निवेश करना हुआ आसान –
म्यूचुअल फंडों में निवेश करना अब पहले से कहीं अधिक आसान हो गया है। निवेशकों को अब म्यूचुअल फंडों में निवेश के लिए किसी बैंक या फाइनेंस कंपनी के पास जाने की आवश्यकता नहीं है। वे ऑनलाइन या मोबाइल ऐप के माध्यम से सीधे म्यूचुअल फंडों में निवेश कर सकते हैं।
- आर्थिक जागरूकता में बढ़ावा –
आजकल, सरकार और वित्तीय संस्थानों द्वारा निवेश के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए कई कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं। इससे निवेशकों में म्युचुअल फंड के बारे में जागरूकता बढ़ रही है। लोगों में आर्थिक जागरूकता में वृद्धि हुई है। अब लोग अपने पैसे को सुरक्षित और लाभदायक तरीके से निवेश करने के बारे में अधिक जागरूक हैं। आजकल, निवेशकों में वित्तीय साक्षरता बढ़ रही है। वे म्युचुअल फंड के बारे में अधिक जानकारी प्राप्त कर रहे हैं और इसके लाभों को समझ रहे हैं। इससे म्युचुअल फंड में निवेश करने वाले निवेशकों की संख्या लगातार बढ़ रही है।
- फंड मैनेजर्स का अनुभव –
म्युचुअल फंडों को पेशेवर फंड मैनेजर द्वारा प्रबंधित किया जाता है। ये फंड मैनेजर बाजार में निवेश के अवसरों की पहचान करने और निवेशकों के पैसे को लाभदायक तरीके से निवेश करने में सक्षम होते हैं।
- म्युचुअल फंड क्या होता है और कैसे काम करता है
म्यूचुअल फंड एक प्रकार का निवेश साधन है जो कई निवेशकों से पैसा एकत्रित करता है और उस एकत्रित किए हुए पैसों को अलग-अलग वित्तीय साधनों में निवेश करता है, जैसे स्टॉक, बाँड्स और गवर्नमेंट सिक्योरिटीज। इसमें फंड को एक पेशेवर फंड मैनेजर द्वारा मैनेज किया जाता है जो फंड के निवेश उद्देश्य के आधार पर पैसा कैसे निवेश किया जाए, इसके बारे में निर्णय लेता है। निवेश करने वाले लोगों का पैसा कहां और कैसे निवेश करना है इसका काम विशेषज्ञों की एक टीम करती है। यह टीम फंड मैनेजर के अधीन काम करती है। उस टीम में बाजार और शेयर बाजार को समझने वाले प्रोफेशनल्स को रखा जाता है। कंपनियों और उनके शेयरों के पिछले रिकॉर्ड और भविष्य की संभावनाओं को ध्यान में रखते हुए टीम लोगों के पैसे को इस तरह निवेश करती है कि वह कम से कम नुकसान के साथ अच्छा रिटर्न दे सके। इससे मिलने वाला लाभ लोगों को उनके निवेश के अनुसार समान रूप से वितरित किया जाता है।
जिस कंपनी के माध्यम से यह सारी प्रक्रिया की जाती है उसे एसेट मैनेजमेंट कंपनी (Asset Management Company, AMC) कहा जाता है।
- भारत में म्युचुअल फंड की शुरुआत
भारत में म्यूचुअल फंड की शुरुआत 1964 में हुई थी। उस साल, भारत सरकार ने यूनिट ट्रस्ट ऑफ इंडिया (UTI) की स्थापना की, जो भारत का पहला म्यूचुअल फंड था। UTI ने 1964 में एक ही लॉन्च की थी।
UTI की स्थापना का उद्देश्य भारतीयों को शेयर बाजार में निवेश करने का एक आसान और किफायती तरीका प्रदान करना और भारतीय शेयर बाजार को विकसित, मजबूत करना था। UTI की स्थापना के बाद, भारत में म्यूचुअल फंड धीरे-धीरे विकसित हुआ। 1987 में, भारत सरकार ने अन्य संस्थानों को म्यूचुअल फंड लॉन्च करने की अनुमति दी। 1993 में, SEBI ने म्यूचुअल फंड को नियंत्रित करने के लिए एक कानून पारित किया। SEBI के कानून के बाद, भारत में म्यूचुअल फंड में तेजी से वृद्धि हुई।
- म्युचुअल फंड में निवेश करने के फायदे –
- प्रोफेशनल मैनेजमेंट –
म्यूचुअल फंड को पेशेवर फंड मैनेजर और टीम द्वारा मैनेज किया जाता है, जो निवेशकों के पैसे का निवेश करने के लिए अपने ज्ञान और अनुभव का उपयोग करते हैं। जैसा कि मैंने पहले ही बताया निवेश करने वाली जनता का पैसा कहां और कैसे निवेश करना है इसका काम विशेषज्ञों की एक टीम करती है। यह टीम फंड मैनेजर के अधीन काम करती है। उस टीम में बाजार और शेयर बाजार को समझने वाले प्रोफेशनल्स को रखा जाता है। कंपनियों और उनके शेयरों के पिछले रिकॉर्ड और भविष्य की संभावनाओं को ध्यान में रखते हुए टीम लोगों के पैसे को इस तरह निवेश करती है कि वह कम से कम नुकसान के साथ अच्छा रिटर्न दे सके।
- कम लागत (Low Cost) –
म्यूचुअल फंड की लागत आमतौर पर अन्य निवेश विकल्पों की तुलना में कम होती है। यदि आप कौशल, विविधीकरण यानी डायवर्सिफिकेशन और रिटर्न इन विकल्पों के लाभों का आकलन करते हैं, तो म्यूचुअल फंड निश्चित रूप से एक बहुत ही लागत प्रभावी निवेश माध्यम है। और आप बहुत ही कम पैसों में म्यूच्यूअल फंड में निवेश कर सकते हैं।
- नियमित निवेश के लिए अच्छा विकल्प –
म्यूचुअल फंड में सिस्टेमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (Systematic Investment Plan, SIP) के माध्यम से नियमित निवेश किया जा सकता है। यह निवेशकों को बाजार के उतार-चढ़ाव से बचने और लंबी अवधि में बेहतर रिटर्न प्राप्त करने में मदद करता है। म्यूचुअल फंड में निवेश करते समय आपको बस अपनी सुविधा और लक्ष्य के अनुसार निवेश राशि चुनने की जरूरत है। आप म्यूच्यूअल फंड में एक बार में भी पैसा जमा कर सकते हैं और हर महीने भी पैसा जमा कर सकते हैं। हर महीने एक समान रकम जमा करना SIP (सिस्टमेटिक इन्वेस्टमेंट प्लान) कहलाता है। SIP आपको एक सहमत अंतराल पर निवेश करने की सुविधा देती है। जो साप्ताहिक, मासिक, त्रैमासिक हो सकता है।
- छोटी बचत से निवेश शुरू कर सकते हैं –
म्यूचुअल फंड में निवेश के लिए कोई ज्यादा बड़ी राशि की आवश्यकता नहीं होती है। आप चाहे तो ₹500 से भी निवेश शुरू कर सकते हैं।
- विविधीकरण (Diversification) –
अपने निवेश में डायवर्सिफिकेशन लाना, उसे एक जगह निवेश करने के बजाय कई जगहों पर निवेश करना’ यह सुरक्षित निवेश का मूल मंत्र है। प्रत्येक म्यूचुअल फंड अलग-अलग क्षेत्रों में पैसा निवेश करता है। म्यूचुअल फंड में कई तरह के निवेश शामिल होते हैं, जैसे शेयर, बॉन्ड, और अन्य एसेट। इससे निवेशकों को बाजार के जोखिम को कम करने में मदद मिलती है।
- कर लाभ (Tax Benefit) –
जब आप शेयर बाजार में निवेश करते हैं तो आपको शेयर खरीदने या बेचने पर टैक्स देना पड़ता है। म्यूचुअल फंड में भी निवेश पर मिलने वाला रिटर्न टैक्स के दायरे में आता है। हालांकि, कुछ प्रकार के म्यूचुअल फंड टैक्स छूट के योग्य होते हैं। जैसे,
- इक्विटी लिंक्ड सेविंग स्कीम (ELSS) – ELSS एक प्रकार का इक्विटी फंड है जो आयकर अधिनियम की धारा 80C के तहत सालाना5 लाख रुपये तक टैक्स छूट का लाभ प्रदान करता है। ELSS में निवेश करने पर डिविडेंड पर भी टैक्स छूट मिलती है।
- पेंशन फंड – पेंशन फंड में निवेश करने पर 10 साल तक की लॉक-इन अवधि के बाद मिलने वाले रिटर्न पर टैक्स छूट मिलती है।
- सुविधा –
म्यूचुअल फंड में निवेश करना आसान और सुविधाजनक है। निवेशक ऑनलाइन, मोबाइल ऐप, या फंड हाउस के कार्यालयों के माध्यम से निवेश कर सकते हैं।
इस प्रकार म्यूचुअल फंड में निवेश करने के कई फायदे हैं जो निवेशक को निवेश किए गए पैसे पर अच्छा रिटर्न प्रदान करते हैं। अब म्युचुअल फंड निवेश के नुकसान भी जान लीजिए। आपने अक्सर शेयर बाजार में निवेश के नुकसान के बारे में सुना होगा, लेकिन क्या आप जानते हैं कि सुरक्षित माने जाने वाले म्यूचुअल फंड में निवेश के नुकसान भी हैं? म्यूचुअल फंड में निवेश करने से पहले आपको निवेश जोखिमों के बारे में ठीक से पता होना चाहिए।
- म्यूचुअल फंड निवेश के नुकसान
- जोखिम –
म्युचुअल फंड में निवेश पर रिटर्न की कोई गारंटी नहीं है। म्युचुअल फंड शेयर बाजार से जुड़े होते हैं, और शेयर बाजार में उतार-चढ़ाव होता रहता है। इसलिए, म्युचुअल फंड में निवेश करने से नुकसान होने की संभावना भी होती है।
- रिटर्न की नो गारंटी –
म्यूचुअल फंड में निवेश पर रिटर्न की गारंटी नहीं है। आपके म्युचुअल फंड के पोर्टफोलियो का हिस्सा बनने वाले स्टॉक में जोखिम हो सकता है। कुछ स्टॉक अधिक जोखिम भरे होते हैं तो कुछ कम जोखिम भरे। म्यूचुअल फंड का रिटर्न शेयर बाजार के प्रदर्शन से जुड़ा होता है। इसलिए जिस फंड में आपने निवेश किया है उस पर रिटर्न की गारंटी नहीं है। हालांकि, इक्विटी म्यूचुअल फंड में अपने निवेश को लंबे समय तक रखने से जोखिम कम हो जाता है। म्यूचुअल फंड लंबी अवधि में अच्छा रिटर्न देने की संभावना रखते हैं।
- नियंत्रण की कमी –
म्युचुअल फंड में निवेश करने से आपके निवेश पर पूरी तरह से नियंत्रण नहीं होता है। आपके फंड से संबंधित सभी प्रमुख निर्णय आपके फंड मैनेजर द्वारा लिए जाते हैं। इसलिए, यदि आपका फंड मैनेजर अच्छे निर्णय नहीं लेता है, तो आपका निवेश नुकसान में जा सकता है। म्यूचुअल फंड आपको सीधे बाजार में निवेश करने की इजाजत नहीं देते। सभी प्रकार के म्यूचुअल फंड का मैनेजमेंट एक फंड मैनेजर द्वारा किया जाता है। जबकि कई मामलों में फंड मैनेजर को विश्लेषकों की एक टीम द्वारा सलाह और सहायता दी जाती है। परिणामस्वरूप, एक निवेशक के रूप में आपका अपने निवेश पर ज्यादा नियंत्रण नहीं होता है।
- निर्धारित समय से पहले पैसे नहीं निकाल सकते –
क्लोज-एंडेड और ELSS जैसे म्यूचुअल फंड में लॉक-इन अवधि होती है, जिसका मतलब है कि आप एक अवधि के लिए अपना पैसा वापस नहीं पा सकते हैं। जितने समय के हिसाब से आपने निवेश किया है वह समय पूरा होने के बाद ही आपको पैसा वापस मिलेगा। सरल शब्दों में कहें तो आपका पैसा म्यूचुअल फंड निवेश में फंसा रहता है। अगर आप इनकम टैक्स बचाने के लिए ELSS फंड में निवेश कर रहे हैं तो लॉक-इन अवधि का ध्यान जरूर रखना चाहिए।
- उतार–चढ़ाव वाला रिटर्न –
म्यूचुअल फंड निश्चित गॅरंटीड रिटर्न की पेशकश नहीं करते हैं, इसलिए आपको अपने म्यूचुअल फंड के निवेश में गिरावट सहित किसी भी स्थिति के लिए हमेशा तैयार रहना चाहिए। प्रत्येक म्यूचुअल फंड के पीछे एक पेशेवर मैनेजर और टीम होती है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि यह आपके फंड को खराब प्रदर्शन से बचाएगा।
- शुल्क –
म्युचुअल फंड में निवेश करने पर कुछ शुल्क लगते हैं। ये शुल्क फंड मैनेजमेंट शुल्क, लेनदेन शुल्क, और अन्य शुल्क हो सकते हैं। इन शुल्कों से आपके निवेश पर रिटर्न कम हो सकता है।
- इन नुकसानों से बचने के लिए, नुकसान को कम करने के लिए आपको इन बातों का ध्यान रखना चाहिए, जैसे
- रिसर्च करे –
म्युचुअल फंड में निवेश करने से पहले, आपको विभिन्न फंडों के बारे में शोध करना चाहिए। आपको यह समझना चाहिए कि प्रत्येक फंड किस प्रकार के जोखिम में शामिल है और यह आपके निवेश लक्ष्यों के लिए उपयुक्त है या नहीं।
- अपने जोखिम सहनशीलता को समझें –
म्युचुअल फंड में निवेश करने से पहले, आपको अपने जोखिम सहनशीलता को समझना चाहिए। यदि आप जोखिम लेने को तैयार नहीं हैं, तो आपको कम जोखिम वाले फंड में निवेश करना चाहिए।
- दीर्घकालिक निवेश करें –
म्युचुअल फंड में निवेश के लिए कम से कम 3-5 साल का समय देना चाहिए। ऐसा इसलिए है क्योंकि शेयर बाजार में उतार-चढ़ाव होता रहता है, और दीर्घकाल में रिटर्न आमतौर पर अच्छा होता है।
- विविधीकरण करें –
अपने निवेश को विभिन्न प्रकार के फंडों में विविधता देने से जोखिम को कम करने में मदद मिल सकती है।
- अपने निवेश की निगरानी करें –
अपने निवेश की निगरानी करना महत्वपूर्ण है, ताकि आप यह सुनिश्चित कर सकें कि वे आपके निवेश लक्ष्यों के अनुरूप हैं।
म्युचुअल फंड निवेश एक अच्छा विकल्प हो सकता है, लेकिन यह याद रखना महत्वपूर्ण है कि इसमें कुछ नुकसान भी हैं। इन नुकसानों को समझकर और उन्हें कम करने के लिए सही कदम उठाकर, आप अपने निवेश को सुरक्षित कर सकते हैं।
- म्यूचुअल फंड में निवेश करने के लिए फंड के प्रकार
- म्युचुअल फंड के बहुत सारे प्रकार है। मैच्युरिटी पीरियड के आधार पर म्युचुअल फंड के दो प्रकार है।
- ओपन एंडेड म्यूचुअल फंड (Open ended mutual fund)
ओपन एंडेड म्यूचुअल फंड एक ऐसी योजना है जिसमें निवेशक किसी भी समय निवेश कर सकता है और निवेश के पैसै निकाल सकता है। ऐसी योजना में कोई निश्चित राशि नहीं होती क्योंकि पैसा आता रहता है। फंड मैनेजर को स्थिति के आधार पर निवेश करने के निर्णय लेना होता है।
- क्लोज एंडेड म्यूचुअल फंड (Close ended mutual fund)
क्लोज एंडेड म्युचुअल फंड में आप सिर्फ NFO के वक्त ही पैसे निवेश कर सकते हैं। (NFO के बारे में आगे विस्तार से बताता हूं) इसके बाद आप मैच्योरिटी पर ही अपना पैसा निकाल सकते हैं। हालाँकि, क्लोज-एंडेड म्यूचुअल फंड की यूनिट्स सेकेंडरी मार्केट में खरीदी और बेची जा सकती हैं। म्यूचुअल फंड कंपनी को ऐसे लेन-देन से कोई दिक्कत नहीं होती है और ना ही उस म्यूचुअल फंड योजना की जमा राशि पर इसका कोई प्रभाव पड़ता है।
- असेट्स के आधार पर म्यूचुअल फंड के प्रकार
म्यूचुअल फंड मे निवेश की गई संपत्ति के आधार पर अलग-अलग श्रेणियों में वर्गीकृत किया जा सकता है। जैसे
- इक्विटी फंड –
ये फंड स्टॉक में निवेश करते हैं, जो कंपनियों के शेयर होते हैं। इक्विटी फंड ज्यादा रिटर्न देने की क्षमता रखते हैं, लेकिन साथ ही ज्यादा जोखिम भी रखते हैं।
इक्विटी म्यूचुअल फंड के आगे बताई गई श्रेणियों में वर्गीकृत किया जाता है, जो अपने नाम से ही पहचाने जा सकते हैं।
- लार्ज-कैप फंड – ये फंड सबसे बड़ी कंपनियों के शेयरों में निवेश करते हैं।
- मिड-कैप फंड – ये फंड मध्यम कंपनियों के शेयरों में निवेश करते हैं।
- स्मॉल-कैप फंड – ये फंड सबसे छोटी कंपनियों के शेयरों में निवेश करते हैं।
- मल्टी-कैप फंड – ये फंड विभिन्न प्रकार की कंपनियों के शेयरों में निवेश करते हैं।
- वैल्यू फंड – ये फंड उन शेयरों में निवेश करते हैं जिनकी कीमतें उनके आंतरिक मूल्य से कम हैं।
- ग्रोथ फंड – ये फंड उन शेयरों में निवेश करते हैं जिनका अनुमान है कि वे लंबी अवधि में तेजी से बढ़ेंगे।
- डेट फंड (Debt Fund)
डेट फंड म्यूचुअल फंड में एक ऐसा प्रकार है जो ‘डेट सिक्योरिटीज’ में निवेश करता है। जिसमे सरकारी बॉन्ड, कॉर्पोरेट बॉन्ड, सिक्योर्ड डिपॉजिट शामिल हैं। डेट फंड आमतौर पर कम जोखिम वाले निवेश होते हैं, लेकिन वे स्टॉक फंड की तुलना में कम रिटर्न भी प्रदान करते हैं।
डेट फंड के विभिन्न प्रकार हैं, जिनमें शामिल हैं –
- गवर्नमेंट बॉन्ड फंड – ये फंड केवल सरकारी बॉन्ड में निवेश करते हैं। सरकारी बॉन्ड सबसे सुरक्षित प्रकार के ऋण प्रतिभूतियों में से एक हैं, इसलिए वे कम जोखिम वाले निवेश होते हैं।
- कॉर्पोरेट बॉन्ड फंड – ये फंड कॉर्पोरेट बॉन्ड में निवेश करते हैं। कॉर्पोरेट बॉन्ड सरकारी बॉन्ड की तुलना में अधिक जोखिम वाले होते हैं, क्योंकि कॉर्पोरेट दिवालिया हो सकते हैं।
- हायब्रिड फंड – ये फंड डेट और स्टॉक दोनों में निवेश करते हैं। हायब्रिड फंड आमतौर पर डेट फंड की तुलना में अधिक जोखिम वाले होते हैं, लेकिन वे स्टॉक फंड की तुलना में कम जोखिम वाले भी होते हैं।
- बैलेंस्ड म्युचुअल फंड (Balanced Mutual Fund)
म्युचुअल फंड के इस प्रकार में इक्विटी और डेट दोनों में निवेश किया जाता है। यह निवेशकों को इक्विटी के ज्यादा रिटर्न और डेट के कम जोखिम के लाभों को प्रदान करने का प्रयास करता है।
बैलेंस्ड म्युचुअल फंड के भी दो मुख्य प्रकार हैं –
- इक्विटी-डेट फंड – इस प्रकार के फंडों में इक्विटी और डेट का मिश्रण होता है, जिसमें इक्विटी का हिस्सा आमतौर पर 60% से 80% के बीच होता है।
- डेट-इक्विटी फंड – इस प्रकार के फंडों में इक्विटी और डेट का मिश्रण होता है, जिसमें डेट का हिस्सा आमतौर पर 60% से 80% के बीच होता है।
- टैक्स सेविंग म्युचुअल फंड (Tax saving Mutual Fund)
टैक्स सेविंग म्यूचुअल फंड, जिसे इक्विटी लिंक्ड सेविंग स्कीम (Equity linked savings scheme, ELSS) के रूप में भी जाना जाता है। यह इस प्रकार का म्यूचुअल फंड है जो इक्विटी या शेयरों में निवेश करता है। ELSS फंड निवेशकों को टैक्स बचत और ज्यादा रिटर्न की क्षमता का दोहरा लाभ प्रदान करते हैं।
जैसा कि मैंने म्युचुअल फंड के फायदों के बारे में बताते समय इस फंड का जिक्र किया था कि ELSS फंड में निवेश करने पर आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 80C के तहत 1.5 लाख रुपये तक की टैक्स छूट का लाभ मिलता है। इसका मतलब है कि यदि आप एक वित्तीय वर्ष में ELSS फंड में 1.5 लाख रुपये का निवेश करते हैं, तो आप इस राशि को अपनी कुल कर योग्य आय से घटा सकते हैं, जिससे आपकी कर देयता कम हो जाएगी।
ELSS फंड में आमतौर पर तीन साल का लॉक-इन पीरियड होता है, जिसका मतलब है कि आप निवेश की तारीख से तीन साल पूरे होने से पहले अपना निवेश रिडीम नहीं कर सकते। हालांकि, यह लॉक-इन पीरियड निवेशकों के लिए भी फायदेमंद होता है, क्योंकि यह उन्हें आवेश, या घबराहट में फैसले करने से रोकता है और उन्हें लंबे समय तक निवेशित रहने के लिए प्रोत्साहित करता है। ELSS फंड में पारंपरिक टैक्स बचत निवेश जैसे कि पब्लिक प्रोविडेंट फंड (PPF) और फिक्स्ड डिपॉजिट (FD) की तुलना में अधिक रिटर्न उत्पन्न करने की क्षमता होती है। ऐसा इसलिए है क्योंकि ELSS फंड इक्विटी में निवेश करते हैं, जो एक जोखिम भरी संपत्ति वर्ग है, लेकिन इसमें ज्यादा रिटर्न की भी क्षमता है।
यदि आप एक टैक्स बचत निवेश की तलाश कर रहे हैं जिसमें उच्च रिटर्न की क्षमता है, तो ELSS फंड आपके लिए एक अच्छा विकल्प हो सकते हैं। हालांकि, ELSS फंड में निवेश करने से पहले इक्विटी निवेश में शामिल जोखिमों को समझना महत्वपूर्ण है।
- इंडेक्स फंड (Index fund)
इंडेक्स फंड एक किसी विशेष इंडेक्स के प्रदर्शन का अनुकरण करता है। इंडेक्स एक ऐसा माप है जो शेयर बाजार के प्रदर्शन को ट्रैक करता है। उदाहरण के लिए, NIFTY 50 भारत के 50 सबसे बड़े कंपनियों के शेयरों का एक इंडेक्स है।
इंडेक्स फंड निष्क्रिय रूप से प्रबंधित होते हैं, जिसका अर्थ है कि फंड मैनेजर इंडेक्स में शामिल कंपनियों के शेयरों में निवेश करने के लिए सक्रिय रूप से चुनिंदा नहीं होते हैं। इसके बजाय, वे बस इंडेक्स में शामिल सभी शेयरों को समान अनुपात में खरीदते हैं।
भारत में, कुछ लोकप्रिय इंडेक्स फंड है –
- Nifty 50 Index Fund – यह फंड भारत के 50 सबसे बडी कंपनियों के शेयरों में निवेश करता है।
- Sensex 30 Index Fund – यह फंड भारत के 30 सबसे बडी कंपनियों के शेयरों में निवेश करता है।
- Nifty Smallcap 100 Index Fund – यह फंड भारत की छोटी आकार की कंपनियों के शेयरों में निवेश करता है।
- एक्सचेंज ट्रेडेड फंड (Exchange Traded Fund)
एक्सचेंज ट्रेडेड फंड (ETF) इस प्रकार का निवेश फंड है जो स्टॉक एक्सचेंजों पर खरीदा और बेचा जाता है। ETF में शेयर, बॉन्ड, कमोडिटीज या अन्य संपत्तियों की एक टोकरी (basket) हो सकती है। ETF एक म्यूचुअल फंड की तरह है, लेकिन म्यूचुअल फंड के विपरीत, ETF को ट्रेडिंग अवधि के दौरान किसी भी समय खरीदा और बेचा जा सकता है, जैसे कि एक शेयर।
ईटीएफ के भी अलग-अलग प्रकार के होते हैं, जिनमें शामिल हैं –
- इंडेक्स ईटीएफ – ये ईटीएफ किसी विशिष्ट सूचकांक (index) को ट्रैक करते हैं, जैसे कि निफ्टी 50 या S&P 500।
- सेक्टर ईटीएफ – ये ईटीएफ किसी विशिष्ट क्षेत्र या उद्योग में कंपनियों के शेयरों में निवेश करते हैं, जैसे कि आईटी क्षेत्र या बैंकिंग क्षेत्र।
- थीम ईटीएफ – ये ईटीएफ किसी विशिष्ट थीम, जैसे कि पर्यावरण, सामाजिक और शासन (Environmental, social and governance, ESG) या कृत्रिम बुद्धिमत्ता (Artificial Intelligence, AI) में निवेश करते हैं।
- बॉन्ड ईटीएफ – ये ईटीएफ सरकारी और कॉर्पोरेट बॉन्ड में निवेश करते हैं।
- कमोडिटी ईटीएफ – ये ईटीएफ सोना, चांदी, तेल और अन्य कमोडिटीज में निवेश करते हैं।
- हेज फंड (Hedge Fund) –
हेज फंड इस प्रकार का निवेश फंड है जो अपेक्षाकृत लिक्विड असेट्स में निवेश करता है और प्रदर्शन को बेहतर बनाने के प्रयास में अधिक जटिल ट्रेडिंग, पोर्टफोलियो निर्माण और रिक्स मैनेजमेंट टेक्निक्स का व्यापक उपयोग करने में सक्षम है, जैसे कि शॉर्ट सेलिंग, लीवरेज और डेरिवेटिव।
हेज फंड को “हेज” इसलिए फंड कहा जाता है क्योंकि वे बाजार में उतार-चढ़ाव से अपने निवेशकों की रक्षा करने के लिए विभिन्न प्रकार की हेजिंग तकनीकों का उपयोग करते हैं। उदाहरण के लिए, एक हेज फंड एक निश्चित स्टॉक या इंडेक्स के खिलाफ शॉर्ट पोजीशन ले सकता है, जिससे यदि स्टॉक या इंडेक्स गिरता है तो फंड को लाभ होता है। हेज फंड आमतौर पर संस्थागत निवेशकों, उच्च निवल मूल्य वाले व्यक्तियों और अन्य लोगों के लिए उपलब्ध होते हैं जिन्हें पर्याप्त रूप से परिष्कृत माना जाता है।
“संस्थागत निवेशक, उच्च निवल मूल्य वाले व्यक्ति, पर्याप्त रूप से परिष्कृत” ज्यादा भारी शब्द लग रहे हैं क्या? तो इसे आसान भाषा में समझिए,
संस्थागत निवेशकों में पेंशन फंड, विश्वविद्यालय के निवेश कार्यालय और बीमा कंपनियां शामिल हैं। ये निवेशक आमतौर पर हेज फंडों में निवेश करने के लिए आवश्यक धन और जोखिम सहनशीलता रखते हैं। उच्च निवल मूल्य यानी की High net worth वाले व्यक्तियों में वे लोग शामिल हैं जिनके पास $1 मिलियन या उससे अधिक की निवल संपत्ति है। ये लोग भी अक्सर हेज फंडों में निवेश करने के लिए आवश्यक धन और जोखिम सहनशीलता रखते हैं। अन्य लोग जिन्हें पर्याप्त रूप से परिष्कृत माना जाता है, उनमें वे लोग शामिल हैं जिन्हें हेज फंडों के जोखिम और जटिलता को समझने के लिए पर्याप्त वित्तीय ज्ञान और अनुभव है।
हेज फंड भी कई अलग-अलग प्रकार में आते हैं, जिनमें शामिल हैं –
- एब्सोल्यूट रिटर्न फंड – ये फंड बाजार के प्रदर्शन से स्वतंत्र रूप से रिटर्न उत्पन्न करने का प्रयास करते हैं।
- प्रतिभूति-आधारित फंड – ये फंड स्टॉक, बॉन्ड, कमोडिटी और विदेशी मुद्रा सहित विभिन्न प्रकार की प्रतिभूतियों (securities) में निवेश करते हैं।
- डेरिवेटिव फंड – ये फंड डेरिवेटिव्स में निवेश करते हैं, जो अनुबंध हैं जिनका मूल्य आधारभूत परिसंपत्तियों पर निर्भर करता है।
- रणनीतिक फंड – ये फंड एक विशिष्ट रणनीति पर ध्यान केंद्रित करते हैं, जैसे कि मूल्य निवेश या विकास निवेश।
तो यह थे म्युचुअल फंड के कुछ प्रकार।
- म्युचुअल फंड युनिट क्या है?
जब कोई निवेशक म्युचुअल फंड में निवेश करता है, तो वह म्युचुअल फंड का एक हिस्सा खरीदता है। कंपनी के शेयरों की तरह, म्युचुअल फंड यूनिट्स में विभाजित होते हैं। इस प्रकार, म्युचुअल फंड में निवेश करने के लिए, आपको फंड यूनिट्स खरीदनी चाहिए। प्रत्येक यूनिट आपको फंड के पास मौजूद सभी संपत्तियों के प्रदर्शन का एक्सपोजर देती है।
उदाहरण के लिए, यदि फंड X कंपनी A (20%), कंपनी B (15%), कंपनी C (10%), कंपनी D (25%) और 30% कर्ज साधनों में निवेश कर रहा है। इस प्रकार, एक फंड यूनिट खरीदने से आपको सभी सिक्योरिटीज में समान एक्सपोज़र मिलेगा।
हर यूनिट की खरीद और बिक्री नेट एसेट्स वैल्यू (NAV) पर की जाती है। शेयर खरीदते समय निवेशकों को कंपनी की मालिकी मिलती है। हालांकि, म्युचुअल फंडों में, खरीदी गई यूनिटें किसी भी स्टॉक या बॉन्ड की मालिकी नहीं देती हैं। इस प्रकार, म्युचुअल फंड में निवेश करने के लिए, आपको फंड यूनिट्स NAV में खरीदनी चाहिए और उसी तरह से लाभ प्राप्त करने के लिए यूनिट्स को बेचना चाहिए।
- NFO, न्यू फंड ऑफर क्या है?
म्यूचुअल फंड कंपनियां समय-समय पर नई म्यूचुअल फंड योजनाएं शुरू करती हैं। बाजार में नई म्यूचुअल फंड योजनाओं के शुरू होने को न्यू फंड ऑफर NFO कहा जाता है। न्यू फंड ऑफर NFO एक ऐसी प्रक्रिया है जिसके माध्यम से म्यूचुअल फंड कंपनी बाजार में एक नई म्यूचुअल फंड योजना शुरू करती है। NFO के दौरान, म्यूचुअल फंड कंपनी निवेशकों से पैसे जुटाती है ताकि वह अपनी नई योजना में निवेश कर सके। NFO का एक निश्चित समय होता है, जिसके दौरान निवेशक योजना में पैसे लगा सकते हैं। NFO के बाद, म्यूचुअल फंड कंपनी अपनी योजना में निवेश करना शुरू कर देती है। प्रत्येक नई फंड को एक नाम दिया जाता है और उसका विज्ञापन किया जाता है। म्यूचुअल फंड कंपनियां NFO का प्रोस्पेक्टस यानी विवरण पत्र जारी करती हैं। यह प्रोस्पेक्टस उस योजना के उद्देश्य, विवरण और निधि प्रबंधन टीम की जानकारी देता है।
शुरुआत में आप किसी भी म्यूचुअल फंड योजना के यूनिट को ₹10 में खरीद सकते हैं। निवेश की प्रारंभिक अवधि के लिए, इन यूनिटों की कीमत केवल ₹10 रहती है। मूल्य में बदलाव के बिना इस अवधि को NFO अवधि (न्यू फंड ऑफर अवधि) कहा जाता है। इस अवधि में, म्यूचुअल फंड कंपनी आपके पैसे को निवेश नहीं करती है, अर्थात् यह किसी भी स्टॉक में निवेश नहीं करती है। NFO अवधि समाप्त होने के बाद, आपका फंड मैनेजर जमा किए गए पैसे से निवेश करना शुरू करता है। यहां से इस कुल निवेश के मूल्य में कितनी भी वृद्धि या कमी हुई, उसके अनुसार आपकी यूनिट्स की कीमत बढ़ती या घटती है।
NFO की अवधि आमतौर पर 15-20 दिन होती है। NFO में निवेश करके, आप नई म्यूचुअल फंड योजना की शुरुआती अवधि में निवेश करने का मौका प्राप्त करते हैं। NFO में यूनिट की कीमत ₹10 होती है, इसलिए निवेश करना आसान होता है। इन फायदों के साथ ही NFO एक नई योजना है, इसलिए निवेशकों को इसकी ट्रैक रिकॉर्ड के बारे में जानकारी नहीं होती है। इससे निवेश के जोखिम बढ़ जाते हैं, और NFO के बाद, म्यूचुअल फंड कंपनी अपनी योजना में निवेश करना शुरू कर देती है। इससे योजना की NAV में उतार-चढ़ाव हो सकता है।
- NAV, नेट ऐसेट वैल्यू क्या है?
म्युच्युअल फंड की यूनिट की कीमत को नेट असेट व्हॅल्यू (NAV) कहते हैं। यह किसी म्युच्युअल फंड स्कीम की कुल संपत्ति और दायित्वों (Liabilities) के बीच का अंतर है। नेट एसेट व्हॅल्यू स्वयं उस म्युच्युअल फंड स्कीम की परफॉर्मेंस को दर्शाती है। यह एक म्युच्युअल फंड स्कीम की निवेश क्षमता को मापने का एक महत्वपूर्ण तरीका है।
मान लीजिए आपको म्युच्युअल फंड में निवेश करना है। आप NFO अवधि में म्युच्युअल फंड का एक यूनिट ₹10 में खरीदते हैं। इस म्युच्युअल फंड की NAV (Net Asset Value) NFO (New Fund Offer) अवधि में ₹10 होगी। अब मान लीजिए आपके जैसा ही 9 और लोगों ने म्युच्युअल फंड के यूनिट खरीदे हैं।
इस प्रकार म्युच्युअल फंड स्कीम ने कुल 10 यूनिट्स बेचकर ₹100 जमा किए हैं। अब आपका फंड मैनेजर इन ₹100 में कुछ शेयर खरीदता है। मान लीजिए, आपकी ₹100 की निवेश की कीमत एक साल बाद ₹150 हो जाएगी। इसलिए अब उस म्युच्युअल फंड के प्रत्येक यूनिट की कीमत 150/10 = 15 रुपये हो गई है। यानी प्रत्येक यूनिट का नेट एसेट वैल्यू (NAV) ₹15 हो गया है।
अब मान लीजिए कि और 5 लोगों को उसी म्युच्युअल फंड स्कीम में निवेश करना है। लेकिन, अब उस म्युच्युअल फंड स्कीम के यूनिट की NAV ₹15 हो गई है। इसलिए उन्हें अब अपने 1 यूनिट के लिए ₹15 देने होंगे। इन नए पांच लोगों को 5 यूनिट बेचकर कंपनी ₹75 अधिक जमा कर सकती है। अब कंपनी के पास कुल पैसे 150+75 = ₹225 हैं। लेकिन, यूनिट्स की कुल संख्या 15 हो गई।
म्युच्युअल फंड कंपनी नई यूनिट्स जारी करके निवेश के लिए अपना फंड बढ़ा सकती है। इसका पुराने निवेशकों की निवेश पर कोई असर नहीं पड़ता है। क्योंकि नए निवेशकों को ये नई यूनिट्स नई कीमत पर मिलती हैं।
म्युच्युअल फंड कंपनियां समय-समय पर NAV घोषित करती रहती हैं। आप AMC वेबसाइट के माध्यम से या AMFI पोर्टल के माध्यम से कोई भी NAV जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
- SEBI (Securities and Exchange Board of India) क्या है और इसकी म्युचुअल फंड में क्या भूमिका है
SEBI (Securities and Exchange Board of India) म्यूचुअल फंड सहित भारतीय सिक्योरिटीज मार्केट के लिए नियामक संस्था है। म्यूचुअल फंड में सेबी की भूमिका निवेशकों के हितों की रक्षा करना और म्यूचुअल फंड के विकास को बढ़ावा देना है। इसकी स्थापना 12 अप्रैल 1988 में हुई तथा सेबी अधिनियम 1992 के तहत वैधानिक मान्यता 30 जनवरी 1992 को प्राप्त हुई। SEBI का मुख्यालय मुंबई में है और इसके चार क्षेत्रीय कार्यालय अहमदाबाद, कोलकाता, चेन्नई और नई दिल्ली में स्थित हैं।
SEBI सभी म्यूचुअल फंडों को संचालित करने के लिए आवश्यक नियमों और विनियमों(regulations) को निर्धारित करता है। SEBI म्यूचुअल फंडों की निगरानी करता है कि वे सभी लागू नियमों और विनियमों का पालन कर रहे हैं। SEBI म्यूचुअल फंड निवेशकों के हितों की रक्षा के लिए उपाय करता है। SEBI म्यूचुअल फंड निवेशकों के हितों की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है। इसके लिए, SEBI निवेशकों को शिक्षित करने और उन्हें म्यूचुअल फंडों में निवेश करने के बारे में सही जानकारी प्रदान करने के लिए काम करता है।
SEBI म्यूचुअल फंड बाजार की दक्षता और पारदर्शिता को बढ़ावा देने के लिए काम करता है। म्युचुअल फंड में निवेशकों को सुरक्षित निवेश के अवसर प्रदान करने में SEBI की महत्वपूर्ण भूमिका है। SEBI के नियम और विनियम निवेशकों को धोखाधड़ी और गलत जानकारी से बचाते हैं, और वे म्यूचुअल फंडों को पारदर्शी और कुशल तरीके से संचालित करने में मदद करते हैं।
- स्टॉक और म्युचुअल फंड में अंतर
स्टॉक और म्युचुअल फंड दोनों ही निवेश के प्रकार हैं जो शेयर बाजार में निवेशकों को कमाई करने का अवसर प्रदान करते हैं। हालांकि, इन दोनों के बीच कुछ महत्वपूर्ण अंतर हैं।
स्टॉक एक कंपनी की हिस्सेदारी है। जब आप किसी कंपनी के स्टॉक खरीदते हैं, तो आप उस कंपनी के मालिक का एक छोटा हिस्सा बन जाते हैं। स्टॉक की कीमत कंपनी के प्रदर्शन के आधार पर उतार-चढ़ाव करती है। यदि कंपनी अच्छा कर रही है, तो इसके स्टॉक की कीमत बढ़ सकती है। यदि कंपनी खराब कर रही है, तो इसके स्टॉक की कीमत गिर सकती है।
म्युचुअल फंड एक प्रकार का निवेश पूल है जो कई निवेशकों से एकत्रित धन को शेयर, बॉन्ड और अन्य परिसंपत्तियों में निवेश करता है। म्युचुअल फंड को आमतौर पर निवेश के उद्देश्य और जोखिम प्रोफ़ाइल के आधार पर वर्गीकृत किया जाता है। उदाहरण के लिए, कुछ म्युचुअल फंड इक्विटी में निवेश करते हैं, जबकि अन्य डेट में निवेश करते हैं।
स्टॉक आमतौर पर म्युचुअल फंड की तुलना में अधिक जोखिम भरे होते हैं, लेकिन वे अधिक संभावित रिटर्न भी प्रदान कर सकते हैं। म्युचुअल फंड आमतौर पर स्टॉक की तुलना में कम जोखिम भरे होते हैं, लेकिन वे कम संभावित रिटर्न भी प्रदान कर सकते हैं।
- म्युच्युअल फंड में निवेश कैसे करें?
म्युच्युअल फंड में निवेश करना बहुत मुश्किल नहीं है। आज के डिजिटल वर्ल्ड में यह बहुत ही आसान हो गया है। आप एक ऑनलाइन म्यूचुअल फंड प्लेटफॉर्म, बैंक या एक फाइनेंशियल एडवाइजर के माध्यम से एक म्यूचुअल फंड खाता खोल सकते हैं। आपको बस अपनी सुविधा और लक्ष्य के अनुसार निवेश राशि चुननी है। आप एक ही बार में म्युच्युअल फंड में पैसा जमा कर सकते हैं, या फिर हर महीने भी पैसा जमा कर सकते हैं। भारत में म्युचुअल फंड अकाउंट खोलने के लिए न्यूनतम आयु 18 वर्ष है। 18 वर्ष से कम उम्र के व्यक्ति म्युचुअल फंड में निवेश करने के लिए अपने माता-पिता की सहमति से म्युचुअल फंड अकाउंट के लिए आवेदन कर सकते हैं। आजकल, सब कुछ ऑनलाइन किया जाता है। ऐसे में आप म्युच्युअल फंड में ऑनलाइन भी निवेश कर सकते हैं। इसके लिए आपको ब्रोकर के पास खाता खोलना होगा या KYC करना होगा।
Groww App की मदद से आप सिर्फ 10 मिनटों में म्युच्युअल फंड में निवेश कर सकते हैं। boldost.com ग्रो ऐप का किसी भी प्रकार से पेड प्रमोशन नहीं कर रहा है। लेकिन भारत में म्युचुअल फंड में निवेश करने के लिए सबसे ज्यादा ग्रो ऐप को ही पसंद किया जाता है। म्युचुअल फंड में ऑनलाइन तरीके से निवेश करने के लिए आप चाहे तो किसी अन्य दूसरे प्लेटफॉर्म के जरिए भी निवेश शुरू कर सकते हैं। जैसे की,
- Coin by Zerodha
- Paytm Money Mutual Funds App
- Kuvera
- ET Money
- myCAMS Mutual Funds App
- Piggy- Mutual Funds App
- Angel Bee App
म्युचुअल फंड अकाउंट खोलने के लिए आपको पैन कार्ड, आधार कार्ड, कैंसिल चेक, पासपोर्ट साइज फोटो/ सेल्फी और सिग्नेचर की आवश्यकता होती है। अगर आपके पास पहले से ही डिमैट अकाउंट है, जिससे स्टॉक खरीदते या बेचते हैं, तो उसका उपयोग म्युचुअल फंड में निवेश करने के लिए किया जा सकता है। आमतौर पर यह खाता खोलने की प्रक्रिया सभी प्लेटफार्म पर लगभग एक समान ही होती है, सभी प्लेटफार्म पर इसमें थोड़ा बहुत अंतर होता है।
आप जिस प्लेटफार्म के माध्यम से खाता खोलना चाहते हैं, उस प्लेटफार्म की आधिकारिक वेबसाइट पर जाएं। या फिर आप एंड्रॉयड इस्तेमाल करते हो तो गूगल प्ले स्टोर से या आईफोन इस्तेमाल करते हो तो एप्पल स्टोर से उस ऐप को डाउनलोड करें। रजिस्टर करने के लिए अपना ईमेल आईडी और मोबाइल नंबर दर्ज करें। अपने मोबाइल नंबर पर प्राप्त OTP दर्ज करें। अपनी पहचान सत्यापित करने के लिए अपना PAN Number दर्ज करें। अपने बैंक खाता नंबर और IFSC Code सहित अपना बैंक विवरण दर्ज करें और सत्यापित करें। अपना व्यवसाय, आय, माता और पिता के नाम का विवरण दर्ज करें। एक सफेद कागज पर काली स्याही से अपना हस्ताक्षर बनाएं, अपने हस्ताक्षर की एक स्पष्ट तस्वीर क्लिक करें और इसे अपलोड करें क्योंकि यह अनिवार्य है। अपनी सेल्फी लेकर अपलोड करें। इसके बाद आधार आधारित ई-साइन की प्रक्रिया आती है, अपना आधार नंबर E-sign सर्विस में सबमिट करें, और अपने आधार कार्ड से जुड़े मोबाइल नंबर पर प्राप्त ओटीपी दर्ज करें।
इसके बाद, आप इस खाते से कभी भी म्युच्युअल फंड में निवेश कर सकते हैं। इसके अलावा, आप Paytm या Phonepe के माध्यम से भी म्युच्युअल फंडों में निवेश कर सकते हैं। इसके लिए आपका KYC होना आवश्यक है। यदि आपके पास KYC नहीं है, तो आपको इसे पूरा करना होगा। इसके बाद, म्युच्युअल फंड में निवेश करना UPI के माध्यम से किसी को भी पैसे भेजने जितना आसान है।
- म्युचुअल फंड में निवेश करने के लिए सबसे अच्छा समय
बहुत लोगों के मन में यह सवाल होता है कि म्यूचुअल फंड में निवेश करने के लिए सबसे अच्छा समय कौन सा है।
इसके लिए हमें यह समझना होगा कि हम अपनी बाकी जिंदगी में भी कोई काम शुरू करने से पहले हम हमेशा कुछ न कुछ आशंकाओं और चिंताओं से घिरे रहते हैं। हम सोचते हैं कि हमारे पास पर्याप्त समय, संसाधन या कौशल नहीं है। हम सोचते हैं कि हम असफल हो जाएंगे। लेकिन जब हम काम शुरू करते हैं, तो हम इन आशंकाओं और चिंताओं को दूर करने लगते हैं। हम काम करते हुए सीखते हैं और बढ़ते हैं। हम अनुभव प्राप्त करते हैं और आत्मविश्वास प्राप्त करते हैं। इसलिए, अगर हम किसी काम को शुरू करने से डर रहे हैं, तो हमें यह याद रखना चाहिए कि कोई भी अच्छा समय नहीं होता है। जब हम काम शुरू करते हैं, वही अच्छा समय होता है।
इसी प्रकार से ऐसी कोई भी निश्चित तारीख या महीना नहीं है जिसे म्यूचुअल फंड में निवेश करने के लिए सबसे अच्छा माना जाता हो। बाजार में उतार-चढ़ाव हमेशा होते रहते हैं, जिससे आपको म्युचुअल फंड निवेश में अच्छे रिटर्न भी मिल सकते हैं और नुकसान भी हो सकता है।
ऐसे में म्यूचुअल फंड में निवेश करने का सबसे अच्छा समय वह है जब आपके पास निवेश करने के लिए म्युचुअल फंड के बारे में पर्याप्त ज्ञान, पैसा हो और आप कम से कम 5 साल के लिए निवेश करने के लिए तैयार हों। 5 साल या उससे अधिक की अवधि को आमतौर पर लॉन्ग टर्म माना जाता है, और इस अवधि में म्यूचुअल फंड आमतौर पर बेहतर रिटर्न देते हैं।
- म्यूचुअल फंड में निवेश करने के लिए कौन-सी फंड हाउस सबसे अच्छी है?
फंड हाउस, जिन्हें एसेट मैनेजमेंट कंपनी (AMC) के रूप में भी जाना जाता है। ऐसेट मैनेजमेंट कंपनी और फंड हाउस दोनों ही निवेशकों के लिए निवेश प्रबंधन सेवाएं प्रदान करते हैं। हालांकि, इन दोनों के बीच कुछ महत्वपूर्ण अंतर हैं, जिनमें निवेश सर्विस का प्रकार, निवेश लक्ष्य, आकार, और नियमन शामिल हैं। यह निवेशकों से धन इकट्ठा करते हैं और उन्हें विभिन्न वित्तीय साधनों में निवेश करते हैं। म्यूचुअल फंड में निवेश करने के लिए सबसे अच्छी फंड हाउस वह है जो निवेशकों के लिए सबसे अच्छा प्रदर्शन करती है। इसके लिए निवेशकों को कुछ कारकों पर विचार करना चाहिए। जैसे,
- परिणाम – फंड हाउस की योजनाओं का पिछले प्रदर्शन का विश्लेषण करें।
- फीस – फंड हाउस की योजनाओं की फीस की तुलना करें।
- विश्वसनीयता – फंड हाउस की वित्तीय स्थिति और प्रबंधन की प्रतिष्ठा।
- विविधता – फंड हाउस की योजनाओं में निवेश के विभिन्न तरीकों की पेशकश करें।
- इन कारकों के आधार पर, 2023 में भारत में निवेश करने के लिए कुछ सर्वश्रेष्ठ फंड हाउसों में शामिल हैं –
एसबीआई म्युचुअल फंड (SBI Mutual Fund)
एचडीएफसी म्यूचुअल फंड (HDFC Mutual Fund)
निप्पॉन इंडिया म्यूचुअल फंड (Nippon India Mutual Fund)
एक्सिस म्यूचुअल फंड (Axis Mutual Fund)
कोटक महिंद्र म्युचुअल फंड (Kotak Mahindra Mutual Fund)
आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल म्यूचुअल फंड (ICICI Prudential Mutual Fund)
इन फंड हाउसों की योजनाओं ने पिछले कुछ वर्षों में अच्छा प्रदर्शन किया है और वे निवेशकों को विभिन्न प्रकार के निवेश विकल्प प्रदान करते हैं। हालांकि, यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि कोई भी फंड हाउस गारंटी नहीं देता है कि उसकी योजनाएं भविष्य में अच्छा प्रदर्शन करेंगी। निवेशकों को हमेशा अपने जोखिम की क्षमता और वित्तीय लक्ष्यों को ध्यान में रखते हुए निवेश निर्णय लेना चाहिए।
- म्युचुअल फंड निवेश में क्या घोटाले, धोखाधड़ी हो सकती है और धोखाधड़ी होने से कैसे बचा जा सकता है, और अगर किसी के साथ धोखाधड़ी हुई है तो वह अब क्या कर सकता है।
म्युचुअल फंड एक सुरक्षित निवेश माना जाता है, लेकिन इसमें भी धोखाधड़ी और घोटाले की संभावना होती है।
म्युचुअल फंड में होने वाले घोटाले और धोखाधड़ी के कुछ प्रमुख प्रकार इस तरह हैं –
- फंड मैनेजरों द्वारा धोखाधड़ी –
यह सबसे आम प्रकार का म्युचुअल फंड घोटाला है। इसमें, फंड मैनेजर निवेशकों के धन को गलत तरीके से इस्तेमाल करते हैं, जैसे कि निजी लाभ के लिए धन का इस्तेमाल करना या फंड के प्रदर्शन को बढ़ावा देने के लिए गलत जानकारी देना।
- फंड के विज्ञापनों में धोखाधड़ी –
म्युचुअल फंड के विज्ञापन अक्सर बहुत आकर्षक होते हैं, लेकिन वे हमेशा सटीक नहीं होते हैं। कुछ मामलों में, फंड के विज्ञापनों में निवेशकों को गलत या भ्रामक जानकारी दी जाती है।
- फंड के प्रदर्शन में धोखाधड़ी –
कुछ फंड मैनेजर निवेशकों को यह दिखाने के लिए फंड के प्रदर्शन में हेरफेर करते हैं कि फंड अच्छा प्रदर्शन कर रहा है। इसमें, फंड मैनेजर फंड के प्रदर्शन को बढ़ाने के लिए गलत जानकारी या गलत तरीकों का इस्तेमाल कर सकते हैं।
- फंड के प्रशासन में धोखाधड़ी –
इसमें, फंड के प्रशासनिक कर्मचारियों द्वारा निवेशकों के धन को गलत तरीके से इस्तेमाल किया जाता है, जैसे कि फंड के खजाने से धन निकालना या फंड के खातों में गलत जानकारी दर्ज करना।
- म्युचुअल फंड में होने वाले घोटाले और धोखाधड़ी से बचने के लिए निवेशकों को इन बातों का ध्यान रखना चाहिए –
फंड मैनेजर और फंड के बारे में पूरी जानकारी प्राप्त करें। फंड के विज्ञापनों के बजाय, फंड की जानकारी के लिए फंड के प्रदर्शन विवरण, फंड मैनेजर के बारे में जानकारी और फंड की निवेश नीति की समीक्षा करें। फंड को अच्छी तरह से समझें। फंड में निवेश करने से पहले, यह सुनिश्चित करें कि आप फंड के प्रकार, फंड के प्रदर्शन और फंड की जोखिम प्रोफ़ाइल को समझते हैं। निवेश करने से पहले, विभिन्न फंडों की तुलना करें और सबसे अच्छा फंड चुनें। अपने निवेशों की निगरानी करें। अपने निवेशों की नियमित रूप से निगरानी करें और यदि आपको कुछ भी गलत लगता है तो तुरंत कार्रवाई करें।
भारत में, म्युचुअल फंडों को SEBI द्वारा विनियमित (Regulated) किया जाता है। SEBI म्युचुअल फंडों के विनियमन के लिए विभिन्न कानूनों और विनियमों को लागू करता है। इन कानूनों और विनियमों का उद्देश्य निवेशकों को धोखाधड़ी और घोटाले से बचाना है।
- यदि आपको लगता है कि आप किसी म्युचुअल फंड घोटाले या धोखाधड़ी का शिकार हुए हैं, तो आप यह कदम उठा सकते हैं –
SEBI को शिकायत दर्ज करें। आप SEBI की वेबसाइट पर ऑनलाइन शिकायत दर्ज कर सकते हैं या SEBI के कार्यालय में व्यक्तिगत रूप से शिकायत दर्ज कर सकते हैं। आप पुलिस में भी शिकायत दर्ज कर सकते हैं। एक वकील से सलाह लें। यदि आप किसी कानूनी कार्रवाई करने का विचार कर रहे हैं, तो आप एक वकील से सलाह ले सकते हैं। आपके पास आपके साथ हुई धोखाधड़ी का कोई पुख्ता सबूत है तो आपको न्याय मिलने में आसानी होगी।
- म्युच्युअल फंड में निवेश कितना सुरक्षित है?
मैंने आपको म्युचुअल फंड निवेश में होने वाले घोटाले और धोखाधड़ी के बारे में बताया, इससे आपको घबराना नहीं है। म्युच्युअल फंड में निवेश एक सुरक्षित निवेश विकल्प है। म्युच्युअल फंड पर SEBI का पूर्ण नियंत्रण होता है, जो निवेशकों के हितों की रक्षा करता है। म्युच्युअल फंड की ओपन-एंडेड योजनाओं से कभी भी पैसे निकाले जा सकते हैं, SIP जारी रखते हुए भी जमा शेष राशि से कुछ राशि निकाली जा सकती है। जबकि क्लोज-एंडेड योजनाओं में यह विकल्प उपलब्ध नहीं है। यदि निवेशक को कोई आर्थिक कठिनाई आती है, तो वह कुछ महीनों के लिए SIP को स्थगित कर सकता है। एक साधारण फॉर्म भरकर 3 से 6 महीने के लिए SIP को रोका जा सकता है। इसलिए, अच्छे रिटर्न्स और कम जोखिम वाली म्युच्युअल फंड योजना का विकल्प निवेश के लिए सर्वोत्तम माना जाता है। म्युचुअल फंड में निवेश करना सुरक्षित होता है।
- म्युचुअल फंड में निवेश करके करोड़पति बनने का प्लान
हर आर्थिक रूप से सामान्य परिवार से आने वाले व्यक्ति का करोड़पति बनने का सपना होता है। यदि आप म्यूचुअल फंड में निवेश करके करोड़पति बनने का सपना देख रहे हैं, तो यह संभव है। हालांकि, आपके खाते में करोड़ों का फंड जमा होने में कुछ समय लगेगा। म्यूचुअल फंड में पैसा निवेश करके आपको धैर्य से इंतजार करना होगा। करोड़पति बनने के लिए आपको म्यूचुअल फंड में कितना निवेश करना होगा? यह सवाल आपके मन में भी आया होगा।
म्युचुअल फंड में निवेश करके करोड़पति बनने के लिए निवेश की राशि और अवधि दो प्रमुख फैक्टर्स हैं। यदि आप लंबी अवधि (15-20 साल) तक नियमित रूप से निवेश करते हैं, तो आप कम राशि से भी करोड़पति बन सकते हैं।
उदाहरण के लिए, यदि आप हर महीने 10,000 रुपये की SIP शुरू करते हैं और 12% की औसत वार्षिक रिटर्न प्राप्त करते हैं, तो आप 21 साल में 1 करोड़ रुपये से अधिक कमा सकते हैं।
यदि आप हर महीने SIP नहीं कर सकते हैं, तो आप एकमुश्त (Lumpsum) निवेश करके भी करोड़पति बन सकते हैं। हालांकि, यह थोड़ा मुश्किल हो सकता है, क्योंकि इसके लिए आपको काफी लंबे समय तक निवेश करना होगा।
अगर आपके पास 1 लाख रुपए और बहुत ज्यादा धैर्य है, तो भी करोड़पति बन सकते हैं। अगर आप 1 लाख रुपए म्युचुअल फंड में निवेश करते हैं और आपको 12% सालाना का रिटर्न मिलता है, तो आप 41 साल में करोड़पति बन जाएंगे। म्यूचुअल फंड योजनाएं 12% आसानी से रिटर्न दे सकती हैं। बाजार में ऐसी कई म्यूचुअल फंड योजनाएं उपलब्ध हैं जो 12% से अधिक रिटर्न देती हैं।
इस प्रकार आर्टिकल के माध्यम से आपको म्युचुअल फंड संबंधित लगभग सभी महत्वपूर्ण जानकारी बताई है। मैं कोई म्युचुअल फंड एक्सपर्ट या फाइनेंशियल एडवाइजर नहीं हूं। मैंने आपके लिए म्युचुअल फंड पर गहन अध्ययन करके जो बातें समझी है, सीखी है, वही आपके साथ साझा की। अगर इस जानकारी में आप को कोई गलती दिखाई देती है तो कृपया करके हमें कमेंट करके बताइए, हम उस गलती को जरूर सुधारेंगे।
इस आर्टिकल की समाप्ति हम म्युचुअल फंड के विज्ञापन में बताए जाने वाले चेतावनी से करेंगे। जिसे आपको मजाक में हल्के में लेकर अनदेखा नहीं करना है, या फिर निवेश करने के लिए घबराना भी नहीं है। लेकिन म्युचुअल फंड में निवेश करते समय इस चेतावनी को हमेशा ध्यान में रखना चाहिए “म्युचुअल फंड निवेश बाजार के जोखिमों के अधीन है, योजना से जुड़े सभी दस्तावेजों को ध्यान से पढ़ें।“
आपके म्युचुअल फंड निवेश के लिए और निवेश पर अच्छे रिटर्न के लिए boldost.com टीम की तरफ से हार्दिक शुभकामनाएं। जानकारी अच्छी लगी हो तो अपने निवेश में रुचि रखने वाले प्रिय जनों के साथ जरूर शेयर करें। यहां तक पूरा पढ़ने के लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद।
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