हिंदी कहानी : दोस्तों स्वागत है आपका Boldost.com पर। इस आर्टिकल में हम एक कहानी देखंगे जो हमे जीवन जीने की सिख देती है। हिंदी कहानी :यह भी बदल जायेगा (दो अंगूठियां) : The Art of Living :-
जीवन में हर समय बदलाव होता रहता है। इस बदलाव में मन को किस तरह स्थिर रखना है, ये कहानी पढ़कर आपको समज आएगा।
दोस्तों बढ़ते है कहानी की और
हिंदी कहानी :यह भी बदल जायेगा (दो अंगूठियां)
किसी गांव में एक वृद्ध सज्जन की मृत्यु हो गई। उसके पीछे उसके दो बेटे थे। हमारी भारतीय परंपरा के अनुसार, पिता की मृत्यु के बाद, दोनों बेटे परिवार के परंपरा के नुसार कुछ दिनों के लिए एक परिवार में एक साथ रहने लगते हैं।
कुछ दिन बाद में घरेलू झगड़ों के कारण उन्होंने संपत्ति का बंटवारा कर स्वतंत्र जीवन जीने का फैसला किया। सब कुछ आधा-आधा बांटकर समझौते कर झगड़े के तनाव को दूर किया। समझौते के बाद पिता ने संभाल कर रखा एक पैकेट उन्हें मिला। पैकेट खोलने पर उसमें दो अंगूठियां मिलीं।
एक अंगूठी कीमती हीरे से जड़ी हुई थी और दूसरी मामूली चांदी की थी। कीमती हीरे की अंगूठी देखकर बड़े भाई को लालच आ गया और उसने अपने छोटे भाई से कहा, ‘मुझे लगता है कि यह अंगूठी हमारे पिता ने नहीं खरीदी होगी, यह हमारे परिवार को विरासत में मिली होगी और इसीलिए उन्होंने इसे अपने कमाई से दूर रखकर सभांलकर रखा होगा ।
इसका यह अर्थ है की दादा -परदादा की वही परंपरा चलती रहनी चाहिए और इसलिए मैं बड़ा भाई होने के नाते हिरे
की अंगूठी को में रख लेता हूँ । बेहतर होगा आप चांदी की अंगूठी ले लें’।
यह भी बदल जायेगा (दो अंगूठियां) -हिंदी कहानी
छोटे भाई ने कहा, ‘कोई बात नहीं, तुम हीरे की अंगूठी से खुश हो, मैं इस चांदी की अंगूठी से खुश हूं। दोनों अपनी-अपनी अंगूठी लेकर चले गए।
छोटे भाई ने मन ही मन सोचा की ठीक ही है कि हीरे की अंगूठी उसके पिता ने संभाल रखी है , लेकिन उन्होने यह साधारण चांदी की अंगूठी क्यों संभाल रखी होगी? अंगूठी का बारीकी से निरीक्षण करने पर उनको समझ में आया कि उस पर कुछ लिखा हुवा है। गौर से देखनेके बाद नजर आया की अंगूठी पर शब्द खुदे हुए थे ‘यह भी बदल जायेगा ‘।
अरे वाह! यह हमारे पिता का उपदेश है ! उन्होंने वो अंगूठी अपनी उंगली में पहन ली और अपने जीवन में वो व्यस्त हो गया
दोनों भाई ने अपने जीवन में उतार-चढ़ाव का सामना किया।
वसंत ऋतु आने पर बड़े भाई हर्ष के मारे अपना संतुलन खो बैठते थे। और सर्दी आने पर निराशा के कारण उसका मानसिक संतुलन बिगड़ जाता था। उसकी जीने की कला बिगड़ जाती और असहनीय तनाव के कारण उसका रक्तचाप बढ़ जाता।
बड़े भाई को अनिद्रा होने लगी। अनिद्रा के कारण मानसिक तनाव बढ़ गया।
बड़े भाई को चिंता कम करने के लिए दवाएँ लेनी पड़ी । इसका नतीजा यह हुआ कि बड़े भाई को बिजली के झटके दिए गए। बड़ा भाई हीरे की अंगूठी का मालिक था। मगर वो अंगूठी बड़े भाई को शांति नहीं दे सकती थी
लेकिन छोटा भाई, जो चांदी की अंगूठी का मालिक था, वह अपने जीवन में सुखी था।
वसंत आने पर छोटा भाई उससे दूर नहीं भागा, छोटा भाई वसंत का पूरा आनंद लेता था । लेकिन चांदी की अंगूठी ने उसे याद दिलाया, ‘यह भी बदलेगा’।
जब वसंत बदलता तो वह मुस्कुराता और कहता, ‘सचमुच! मुझे पता था कि यह बदलने वाला था और यह बदल गया। कोई बात नहीं ‘जब सर्दियां आती हैं तो छोटा भाई अंगूठी को देखकर बोलता ‘ यह भी बदल जायेगा’ ।
वह अपने जीवन में कभी दुःखी हुवा।
वह निश्चित रूप से जानता था कि ‘यह भी बदलेगा’ और वास्तव में वही हुआ, वह बदल गया।
वह हमेशा इस बात से अवगत था कि अंगूठी पर उपदेश के कारण जीवन में सभी सुख और दुख, सभी प्रकार के संक्रमण और उतार-चढ़ाव स्थायी नहीं होते हैं।
साथ ही, वह निश्चित रूप से जानता था कि हर चीज की उत्पत्ति हमेश विनाश के लिए है। हर चीज जो उत्पन्न हो रही है वो एक दिन नष्ट होने वाली है यही कारण है कि उसने दिमाग को संतुलित रखा । विपरीत परिस्थिति आने पर दिमाग का संतुलन नहीं खोया उसे अपना जीवन सुख-शांति से व्यतीत किया।
कहानी सारांश
दोस्तों जीवन में जो कुछ अभी घट रहा है वो हमेश रहने वाला नहीं है ‘बदलाव’ यही जीवन का नियम है।
सुख आया तो वो जादा वक्त टिक नहीं सकता और दुःख आया तो वो भी जादा वक्त टिक नहीं सकता ,परिस्थिति हमेशा बदलती रहती है।
दोस्तों जीवन में सुख आया तो बोले ‘यह भी बदल जायेगा’ ,दुःख आया तो बोलो ‘यह भी बदल जायेगा’।
जीवन के हर एक परिस्तिथि में समभाव से रहना सीखो।
सुख के बाद दुःख और दुःख के बाद सुख आता ही रहेगा।
तो सदा ही हर पल को ,हर क्षण को पूरी तरह जिओ, यही जीवन है।
दोस्तों यह कहानी आपको कैसी लगी कमेंट करके जरूर बताना।
धन्यवाद।