मन के उपद्रव पर बेहतरीन स्टोरी: दोस्तों स्वागत है आपका हमारे ब्लॉग पर। इस आर्टिकल मे हम (Excellent story on Mental Disturbance) मन के उपद्रव पर बेहतरीन स्टोरी पढ़ेंगे। मन ही मनुष्य की सारी सफलता और असफलता का कारण है। मन के कारण मनुष्य कई मुसीबत मे फसता चला जाता है। मनुष्य किस तरह मन के कारण मुसीबत पैदा करता है वो हम इस स्टोरी मे पढ़ेंगे। तो दोस्तों चलते है स्टोरी की तरफ।
मन के उपद्रव पर बेहतरीन स्टोरी
किस गांव में दो मित्र रहते थे। उनमें बड़ी अच्छी मित्रता थी । एक युवक गरीब था और दूसरा पैसे वाला घर का था। हालांकि धन का यह फासला दोनों की मित्रता में कोई बाधा नहीं डालता था। एक दिन ऐसा हुआ कि गरीब दोस्त को स्कूटर की आवश्यकता पड़ी। घर पर कुछ मेहमान आने वाले थे सो उसे सामान वगैरा लाने की जल्दी थी।
उधर उसके अमीर दोस्त के पास स्कूटर थी, बस उसने उसे एक दिन के लिए स्कूटर मांगना तय कर लिया और तय करते ही गरीब मित्र उसके पास स्कूटर मांगने चला गया।
अभी वह कुछ ही कदम चला कि उसके मन में एक विचार आया कि ऐसा तो नहीं कि वह स्कूटर देने को मना कर दे,फिर तुरंत दूसरा विचार आया कि ऐसा थोड़ा ही है इतने सालों की दोस्ती में मैंने कभी उससे कुछ नहीं मांगा है, भला दोस्ती में वह स्कूटर के लिए इंकार क्यों करेगा ? परंतु मन का स्वभाव बड़ा उपद्रवी होता है, बस उस मित्र के मन मे पकड़ दिया दूसरा विचार।
वह फिर सोच में पड़ गया वह जरूर मना करेगा। वह दिखता है इतना सीधा-साधा परंतु वह बहाने जरूर बनाएगा कि स्कूटर मे पेट्रोल नहीं है। कोई बात नहीं मैं भी कह दूंगा की, “ला चाबी, पेट्रोल में भरवा लूंगा”।
बस इसी सोच के साथ वह गरीब दोस्त फिर विश्वास से भर गया। लेकिन अभी दो कदम भी चला कि उसके मन में एक विचार आया कि वह स्कूटर नहीं देने के हजार बहाने खोजेगा । उसकी दोस्ती- यारी सब ऊपरी है। वह तो यही कह देगा की, स्कूटर का टायर ही खराब है या कहेगा आज मेरे घर में कुछ मेहमान आने वाले हैं तो स्कूटर देना संभव नहीं। (मन के उपद्रव पर बेहतरीन स्टोरी)
बस इतना सोचते सोचते गरीब मित्र को बड़ा क्रोध आ गया और इस अवस्था में वह दोस्त के घर पहुंच गया। वहां पहुंचते ही उसे बहुत क्रोध आ गया उसने क्रोध की अवस्था में मित्र के घर की दरवाजे की घंटी बजाई। दरवाजा दोस्त ने ही खोला वह क्रोध में तो बस दोस्तों को उसके सामने प्रकट होते हैं चिल्ला पड़ा
“भाड़ में जो तुम और तुम्हारा स्कूटर, बहुत देख लिए पैसे वाले ,तुम लोग कभी किसी के मित्र हो ही नहीं सकते, जो आज से तुम्हारी मेरी दोस्ती खत्म”।
बेचारा दोस्त तो हक्का-बक्का हो गया उसे कोई बात नहीं समझ में नहीं आई। कौन सा स्कूटर और कहां के अमीर लोग ? पर उधर उसका गरीब दोस्त अपनी भड़कास निकाल कर चला गया था।
कहने का तात्पर्य है कि मनुष्य का मन बड़ा ही उपद्रवी है। मनुष्य का मन के ऊपर नियंत्रण ना होने से वह मन के ऊपद्रव के शिकार हो जाते हैं। ना चाहते हुए भी उससे पागलपन हो जाता है, लाख ना चाहते हुवे भी वह म न के कारण आपसी रिश्ते बिगाड़ देते हैं।
यानी कुल मिलाकर कहो तो सब कुछ ठीक होते हुए भी मन के कारण मनुष्य कई मुसीबत में फसता रहता है । यही मन का उपद्रव है।-(मन के उपद्रव पर बेहतरीन स्टोरी)
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