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Home रोचक जानकारी

भारत का पहला आधार कार्ड: रंजना सोनावाने की कहानी-India’s first Aadhaar card: Ranjana Sonawane’s story

bol dost by bol dost
May 3, 2024
in रोचक जानकारी
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रंजना सोनावाने

रंजना सोनावाने

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  भारत में पहला आधार ( India’s first Aadhaar card) कार्ड किसका बना था? इस सवाल का उत्तर देते हुए, हम चरणबद्ध रूप से देखेंगे कि कैसे महाराष्ट्र की एक बेहद सामान्य महिला, रंजना सोनावाने, भारत के पहले आधार कार्ड का धारक बनी और उनकी कहानी कैसे सबको प्रेरित कर रही है।

 

पहला आधार कार्ड की शुरुआत

29 सितंबर 2010 को भारत का पहला आधार कार्ड बनना एक महत्वपूर्ण मोमेंट था, और इसकी धारक थीं महाराष्ट्र की रहने वाली रंजना सोनावाने। उनका आधार कार्ड नंबर “782474317884” है, जिससे उनका यह पहचान पत्र बन गया।

इस घटना ने भारतीय इतिहास में एक महत्वपूर्ण कदम की शुरुआत की थी। इससे न केवल एक आधार कार्ड के रूप में, बल्कि यह एक सामान्य महिला के जीवन में एक महत्वपूर्ण बदलाव लाने का संकेत था। रंजना सोनावाने की मेहनत और उनकी आग्रहपूर्ण साक्षरता ने उन्हें इस महत्वपूर्ण प्रक्रिया का हिस्सा बनने का मौका दिलाया, और उन्होंने अपने परिवार के लिए एक नई शुरुआत की।

इस पहले आधार कार्ड के बनने से हमें यह सिखने को मिलता है कि आधार कार्ड न केवल एक पहचान पत्र के रूप में काम करता है, बल्कि यह एक व्यक्ति के जीवन में कैसे एक महत्वपूर्ण बदलाव ला सकता है। यह घटना हमें यह भी सिखाती है कि किसी भी सामान्य व्यक्ति की मेहनत, आग्रह, और संघर्ष से वह किसी भी महत्वपूर्ण मिशन को पूरा कर सकता है।

 

रंजना सोनावाने: एक सामान्य महिला की कहानी

रंजना सोनावाने एक दिहाड़ी मजदूर हैं, जो महाराष्ट्र के नंदुरबार जिले में स्थित तम्भाली गाँव में निवास करती हैं। यह गाँव पुणे से लगभग 470 किलोमीटर दूर है।

योजना की शुरुआत

आधार कार्ड योजना का आरंभ किया गया तब, जब भारत में UPA सरकार थी। उस समय, महाराष्ट्र के नन्दुरबार जिले के तम्भाली गाँव को चुना गया क्योंकि तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष, श्रीमती सोनिया गांधी, वर्ष 1998 में महाराष्ट्र के नन्दुरबार से एक बड़ी रैली के बाद राजनीति में पदार्पण किया था।

रंजना सोनावाने का आधार कार्ड

रंजना सोनावाने का आधार कार्ड उनके और उनके परिवार के जीवन में महत्वपूर्ण बदलाव लाया। यह कहानी हमें यह दिखाती है कि आधार कार्ड केवल एक पहचान पत्र के रूप में ही नहीं काम करता है, बल्कि यह एक व्यक्ति के जीवन में कैसे एक महत्वपूर्ण परिवर्तन ला सकता है।

रंजना सोनावाने एक दिहाड़ी मजदूर थीं और उनके पति भी ऐसे ही काम करते थे। उनका जीवन गरीबी और संघर्ष से भरपूर था। जब उन्होंने अपने परिवार के लिए आधार कार्ड प्राप्त किया, तो उन्होंने नौकरी खोजने में सहायक हो सकने की आस की और कमजोरी को पार किया।

उनका आधार कार्ड तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष, श्रीमती सोनिया गांधी, और प्रधान मंत्री श्री मनमोहन सिंह की मौजूदगी में बना था, जिससे उनका जीवन मेहनतीपन, संघर्ष, और उनकी परिवार की आर्थिक स्थिति में सुधार हुआ।

 

रंजना सोनावाने
रंजना सोनावाने

आधार कार्ड का महत्व

रंजना ने सोचा था कि आधार कार्ड मिल जाने से उनको नौकरी मिल जाएगी, लेकिन यह एक पहचान पत्र के रूप में होता है। वो भारत की पहली आधार कार्ड धारक महिला बन गईं, लेकिन उनकी स्थिति में और उनके गांव की स्थिति में कोई बदलाव नहीं आया।

 

रंजना की जीवनशैली

रंजना जो कि दिहाड़ी मजदूर हैं, अपने परिवार के साथ तम्भाली गाँव में रहती हैं। उनके पति सदाशिव सोनावाने भी एक दिहाड़ी मजदूर हैं। उनके परिवार में पति और उनके तीन बच्चे हैं।

समापन

रंजना सोनावाने की कहानी हमें यह सिखाती है कि आधार कार्ड का महत्व न केवल पहचान पत्र के रूप में है, बल्कि यह एक आम महिला के जीवन में भी कैसे एक महत्वपूर्ण पल बन सकता है। उनकी कड़ी मेहनत और संघर्ष ने उन्हें भारतीय इतिहास में एक महत्वपूर्ण स्थान दिलाया।

आधार कार्ड एक आवश्यकता न होने के साथ, यह एक शक्तिशाली पहचान के रूप में भी कार्य करता है, और यह हमें यह दिखाता है कि किसी भी सामान्य व्यक्ति की मेहनत और आत्म-संघर्ष से वह कुछ भी पा सकता है।

इस प्रेरणास्पद कहानी से हमें यह सिखने को मिलता है कि हमें कभी भी हालातों के आगे हार नहीं मानना चाहिए और हमें अपने लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए कठिनाइयों का सामना करना चाहिए।

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