Best Story on Self-Confidence:दोस्तों स्वागत है आपका हमारे ब्लॉक पर आज हम इस Blog में आत्मविश्वास पर सबसे बेहतरीन स्टोरी पढ़ेंगे।
आत्मविश्वास पर सबसे बेहतरीन स्टोरी
एक छोटे से गांव में एक फकीर रहता था। वह बड़ा ज्ञानी और करुणा से भरा हुआ था पूरा गांव उसकी इज्जत करता था। इधर फकीर भी अपने जिद का बड़ा पक्का था। वह किसी से अनावश्यक भेंट नहीं स्वीकारता था, फल स्वरुप सादा जीवन जीता था। फकीर एक छोटे से झोपड़ में रहता था। उसके पास कुल दो ही कंबल थे। उसके पास उस दो कंबल के अलावा और कुछ नहीं था। (आत्मविश्वास पर सबसे बेहतरीन स्टोरी)
सर्दी का मौसम शुरू हुवा था। बड़े कड़ाके की ठंड पड़ रही थी। रात का समय था और फकीर अपनी एक कंबल ओढ़ वह एक बिछाए सो रहा था । अब फकीर तो वही है जो स्वयं के भरोसे जीते हैं । झोपड़ी का दरवाजा लगाने का तो सवाल नहीं उठाता था । इस समय उस गाव मे एक भूखा चोर गांव में चोरी करने निकला उसे अन्य कहीं घूमने में तो सफलता नहीं मिली, घूमते घूमते वह फकीर की झोपड़ी की तरफ आ गया ।
उसने देखा कि फकीर के झोपड़ी का द्वार खुला है यह देखते वह अंदर चला गया । दस मिनट तक उसने पूरा झोपड़ा देखा, उसे छोटा भगोना वह एक टूट गिलास के अलावा कुछ ना मिला। अब इस मौसम में यह दो टूटे-फूटे बर्तन प्राप्त करने हेतु तो उसने यह कष्ट उठाया नहीं था। स्वाभाविक तौर पर चोर निराश हो गया।(Best Story on Self-Confidence)
कुछ समय बीतने के बाद फकीर की नींद खुल गई। फकीर की नींद क्या ? वह पहले आहट से ही जाग गया था परंतु फकीर भी फकीर था आंखे बंद कर चोर के तमाशा को देख रहा था। उधर बहुत समय बीतने के अंत में जो कुछ ना रास आए और कुछ ना मिलनेके बाद तो चोर ने फकीर का कंबल ही झपेट लिया। कम से कम कुछ आत्म संतोष तो मिलना चाहिए चोर को ।
इतनी रात को इतनी तकलीफ भी उठाने की बात भी हाथ कुछ ना लगे तो वह चोर कैसा?
कंबल चोरी करने की आत्मसंतोष के साथ वह दरवाजे से बाहर निकलने को हुआ,उधर फकीर तो यह सारा तमाशा देख रहा था और अब फकीर को अपना अवतार दिखाने का वक्त आ गया था।
उसने दरवाजे के बाहर जाते चोर को कड़क आवाज में रुकने को कहा, फकीर का आवाज सुनकर चोर हैरान हो गया और चोर वही का वही खड़ा हो गया।
फकीर ने अपने कडक आवाज मे चोर को भीतर आने को कहा, चोर के तो भारी ठंड में पसीने छूट गए। बेचारा चुपचाप अंदर आ गया । चोर के चेहरे पर ऐसी घबराहट देख फकीर ने बड़ी विनम्रता पूर्वक उससे माफी मांगते हुए कहा, “माफ करना भाई तुम इतनी ठंड से इतनी दूर से आए हो, तुम्हारी कोई सहायता ना कर सका, घर में कुछ ही नहीं है कि तुम्हें संतुष्ट कर सकूं लेकिन अगली बार आना तो कहकर आना,आसपास कुछ मांग कर एकत्रित कर लूंगा ताकि तुमको इस कदर निराशा होकर ना जाना पड़े”
उधर चोर जो पहले ही फकीर की कड़क आवाज से घबरा गया था, फकीर का ऐसा हसीन प्रस्ताव सुनते ही बर्तन के साथ-साथ उसने हाथ से कंबल भी छूट गया।
चोर भोकला तो ऐसा गया कि बिना कुछ लिए ही भागने को चल पड़ा। यह देखकर फकीर ने फिर गरजते हुए कहा, “जो लेकर जा रहे थे वह सब तो लेकर ही जाना होगा और हां जाते वक्त दरवाजा जरा बंद करना ताकि मैं ठंड से बच सकूं”
बेचारा चोर उसकी हालत तो यह हो चुकी थी कि वह फकीर का हर हुकुम मानने को तैयार हो गया।
चोर ने वह फेक हुआ कंबल और बर्तन उठाएं और जैसा ही फकीर ने कहा था कि दरवाजा बंद कर लेना उसने झोपड़ी का दरवाजा बंद कर लिया।
यहां तक तो सब ठीक था पर सुबह-सुबह वह चोर पकड़ा गया। फकीर के कंबल से पूरा गांव परिचय था । सबको क्रोध भी चढ़ रहा था । सब सोच रहे थे की, चोर को चोरी करने के लिए क्या सज्जन का झोपड़ा ही मिल गया ? लोगों ने चोर को पकड़ कर पंचायत में पेश कर दिया।
उधर यह खबर उड़ते उड़ते फकीर के पास भी पहुंची। वह तुरंत दौड़ा-दौड़ा पंचायत जा पहुंचा । उसने वहा जाकर साफ कहा कि यह कंबल व बर्तन चोर ने चुराई नहीं है मैंने ही उसे यह ले जाने को कहा है । यह तो बड़ा ही सज्जन व्यक्ति है उसने जाते-जाते मुझे ठंड ना लगे इस ख्याल से घर का दरवाजा तक बंद कर दिया था।
फिर पंचायत ने फकीर का बयान सुनने के बाद उस चोर को छोड़ दिया। पर चोर का रो-रो कर पूरा हाल हो गया वो फकीर के चरणों में गिर पड़ा उसने फकीर से उसे अपना सेवक बनाने की जिद पकड़ ली । कुछ आनाकानी कर फकीर ने उसे सेवा का मौका देना तय किया और उसे अपने साथ घर ले आया।
कहने की जरूरत नहीं कि चोर के साथ-साथ फकीर के कंबल और बर्तन भी घर वापस लौट आए और एक सेवक भी फकीर को मिल गया। या तो ठीक पर घर लौटते ही फकीर उस चोर पर खूब हसा और हंसते हुए बोला, ” देखो मेरी जान मेरे कंबल बर्तन तो वापस लौट आए साथी ही सेवा करने हेतु एक सेवक भी ले आया। ” फकीर का कोई सौदा कभी घाटे में नहीं होता।
इसे कहते हैं आत्मविश्वास (Self-Confidence )। वह जानता था कि उसका कंबल चोरी करना आसान नहीं निश्चित ही या फकीर का अपनी फकीरी पर आत्मविश्वास का श्रेष्ठ दृष्टांत यह था।
बस हमें इसी आत्मविश्वास की बात करनी है। मनुष्य को अपने काबिलियत पर पूरा विश्वास होना चाहिए। आत्मविश्वास से दूसरा कोई जादू संसार में होता नहीं।
यदि आपको अपने काबिलियत पर पूरा विश्वास नहीं होगा तो कोई भी कार्य आप कभी भी विश्वास पूर्वक नहीं कर सकते यदि आपको अपनी नियत पर विश्वास नहीं होगा तो हर कार्य करने से पहले हजार विचार आप करेंगे।
दूसरों के भरोसे जीने से फिर चाहे वह भगवान ही क्यों ना हो मनुष्य का आत्मविश्वास घटता है।
“आत्मविश्वास ही सफलता की नींव है। ”
दोस्तों आपको यह स्टोरी कैसी लगी कमेंट करके जरूर बताना।
आपका दोस्त – Boldost
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