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हम आपके बच्चों के लिए एक मजेदार कहानी लेकर आए हैं।-चतुर खरगोश और घमंडी शेर
माता-पिता खाली समय में अपने बच्चों को यह मजेदार कहानी सुना कर उन्हें अच्छी सीख दे सकते हैं।
चलिए फिर कहानी को शुरुआत करते हैं।
चतुर खरगोश और घमंडी शेर - Trick better than power
एक बार की बात है, एक बहुत बड़ा सुंदर जंगल था। जंगल में अलग-अलग तरह के फूलों के, फलों के, बहुत पेड़ थे, उन पेड़ों पर बहुत से सुंदर पक्षी रहते थे। जंगल में एक छोटी सी नदी भी था। नदी का पानी बहुत साफ और ठंडा था। जंगल में पेड़ों पर रंगी बिरंगी, सुगंधित फूल खिलते थे, और जंगल में बहुत सारे जानवर रहते थे।
इसी घने जंगल में एक छोटा सा खरगोश रहता था। खरगोश बहुत ही होशियार और चंचल था। वह सारे जंगल में मस्ती करते हुए इधर से उधर घूमता रहता था।
एक दिन खरगोश को बहुत भूख लग गई। वह खाने की तलाश में तेज दौड़ रहा था। और तभी दौड़ते हुए वह गलती से एक सोते हुए शेर से टकरा जाता है।
शेर बहुत ही खतरनाक और डरावना था। उसके बड़े बड़े दांत और नुकीले नाखून थे। जंगल का कोई भी जानवर कोई शेर के आसपास नहीं भटकता था। उस की दहाड़ से पूरा जंगल डर जाता था। शेर बहुत ताकतवर था और वह अपने ताकत का इस्तेमाल सभी जानवरों को धमकाने के लिए करता था। शेर बहुत ही घमंडी था। उसे अपने बलवान होने पर बहुत घमंड था। वह सोचता था कि उसके सामने कोई भी टिक नहीं सकता।
शेर की नींद खराब होने की वजह से उसकी आंखें गुस्से से लाल हो गई। वह गुस्से में चिल्ला उठा, “किसकी मौत उसे उसे मेरे पास ले आई?”
शेर से टक्कर होने पर खरगोश के पास और भागने का समय नहीं था, इसलिए वह एक पेड़ के पीछे छुप गया।
लेकिन पेड के पीछे छुपने का खरगोश को कोई फायदा नहीं हुआ। वह शेर को दिख गया। वह दोनों एक दूसरे को देख रहे थे। खरगोश डर के अपनी जान बचाने के लिए भागने लगा।
शेर ने गुस्से से कहा, “भागने की कोशिश बेकार है। मैं तुझे खा जाऊंगा।” और खरगोश को पकड़ने के लिए उसके पीछे भागने लगा।”
तभी खरगोश शेर से बड़े आत्मविश्वास से कहा कि, “रुको, तुम मुझे नहीं पकड़ सकते।”
शेर रुक गया। अब वह पहले से ज्यादा गुस्सा हो गया।
शेर ने कहा, “क्या? मैं तुझ जैसे छोटे, डरपोक खरगोश को नहीं पड़ सकता?”
“बिल्कुल नही। तुम मुझे नहीं पकड़ सकते।” खरगोश ने हंसते हुए कहा।
शेर ने कहा, “मैं तुझे पकड़ कर जिंदा नहीं छोडूंगा। खा जाऊंगा।”
खरगोश ने कहा, “हा हा। खा लेना, पर पहले मुझे पकड़ कर तो दिखाओ। मेरी एक शर्त है कि अगर तुम मुझे 10 मिनट में पकड़ नहीं पाए, तो जो मैं कहूंगा वह तुम्हें करना पड़ेगा।”
शेर बहुत घमंडी था। उसे पूरा भरोसा था कि वह खरगोश को पकड़ लेगा। उसने कहा, “ठीक है, मैं तुम्हारी शर्त मंजूर है। तुम जीत गए तो जो तुम बोलोगे वह मुझे मंजूर होगा।”
खरगोश ने कहा, “आओ, मंजूर है तो फिर पकड़ कर दिखाओ।”
और भागने लगा। शेर भी खरगोश को पकड़ने के लिए उसके पीछे भागने लगा।
खरगोश बहुत होशियार था। वह एक छोटे से बिल में छुप गया।
और अगले 10 मिनट के लिए उसी बिल में बैठा रहा। बिल छोटा होने की वजह से शेर खरगोश को पकड़ नहीं पा रहा था।
शेर बहुत गुस्सा हो गया और उसने कहा, “तुमने मुझे धोखा दिया है। मुझे बेवकूफ बनाया है।”
खरगोश ने कहा, “मैंने तुम्हें धोखा नहीं दिया है। मैंने तुम्हें अपनी शर्त बताई थी। तुम मुझे पकड़ नहीं पाए। अब मैं जो कहूंगा वह तुम्हें मानना पड़ेगा।
शेर बहुत शर्मिंदा हुआ। उसने मान लिया कि वह शर्त हार चुका है। और उसने खरगोश से कहा, “तुम सही हो। तुमने मुझे धोखा नहीं दिया है। तुम जो चाहे वह मुझसे मांग सकते हो।
खरगोश ने कहा, “मैं तुमसे कुछ भी नहीं मांगूंगा। मैं बस इतना चाहता हूं कि, अब से तुम मुझे कोई भी तकलीफ नहीं दोगे। तुम अपना घमंड छोड़ दो। और जंगल के दूसरे जानवरों के साथ सम्मान से व्यवहार करो।”
ना चाहते हुए भी, शेर को खरगोश की बात माननी पड़ी क्योंकि वह शर्त हार चुका था।
लेकिन अभी तक उसका घमंड पूरी तरह से टूटा नहीं था।
शेर ने खरगोश को नहीं मारा।
शेर ने खरगोश से कहा,
“तुम बहुत छोटे हो और लेकिन तुम बहुत चतुर हो। तुम मेरे लिए बहुत उपयोगी हो सकते हो।”
शेर ने उसे अपने साथ रहने के लिए कहा। और खरगोश भी शेर के साथ रहने के लिए तैयार हो गया।
शेर ने खरगोश को अपने साथ रख लिया और उसे अपने भोजन की तलाश में मदद करने के लिए कहा। खरगोश बहुत चतुर था और वह जल्दी ही शेर के लिए भोजन ढूंढने में सक्षम हो गया। वह शेर के लिए अच्छा अच्छा खाना ढूंढ के लाने लगा। शेर खरगोश के भोजन खोजने की क्षमता से बहुत खुश हुआ और उसने उसे अपना दोस्त बना लिया।
एक दिन, खरगोश और शेर जंगल में घूम रहे थे, तभी उन्हें एक शिकारियों झुंड उनकी ही हो आते हुए दिखा। खरगोश तुरंत समझ गया कि इस दिन शेर की ताक़त के बावजूद, वह उन शिकारियों से बच नहीं सकता।
खरगोश ने शेर के पास जाकर कहा, “दोस्त, हमें जल्दी से यहाँ से भागना चाहिए। उन शिकारियों से बचने का हमारे पास कोई मौका नहीं है।”
शेर थोड़ी देर तक सोचा, फिर उसने खरगोश की सलाह मानी और वे जल्दी से दौड़कर वहाँ से भाग गए। शिकारियों ने उन्हें पकड़ने की बहुत कोशिश की, परंतु खरगोश के चालाकी की वजह से उन्हें पकड़ नहीं पाए।
खरगोश अपने दोस्त शेर को एक ऐसी जगह ले गया जिसके बारे में खरगोश के सिवाय किसी और को मालूम नहीं था। और कोई भी और वहां तक पहुंच नहीं सकता था।
शिकारी ने शेर और खरगोश को बहुत ढूंढा और परेशान होकर खाली हाथ वापस लौट गए।
सुरक्षित महसूस होने पर शेर और खरगोश वापस अपने ठिकाने पर लौट आए।
शेर खरगोश की मदद से बच गया। वह बहुत खुश था। उसने खरगोश से कहा, “तुमने मेरी जान बचा ली है। मैं तुम्हारा बहुत आभारी हूं।”
खरगोश ने कहा, “यह मेरा सौभाग्य है कि मैं तुम्हारी मदद कर पाया।”
शेर ने खरगोश से कहा “दोस्त, हमारी मित्रता हमारे साथ हमेशा एक दूसरे को सुरक्षा प्रदान करेगी। हम एक-दूसरे की मदद करके हर मुश्किल से निपट सकते हैं।”
खरगोश ने मुस्कराते हुए कहा, “तुमने सही कहा, दोस्त शेर। तुम्हारी ताकत और मेरी बुद्धिमत्ता, हमें एक दूसरे की पूरी मदद कर सकती है।”
इस घटना के बाद से, खरगोश और शेर और भी पक्के दोस्त बन गए। वे हमेशा एक-दूसरे की मदद करते रहे। दोनों ने सिखा कि जब हम एक-दूसरे की कमियों को मान लेते हैं, और मिलकर काम करते हैं, तो हम किसी भी मुश्किल का सामना कर सकते हैं।
इस घटना के बाद शेर का घमंड पूरी तरह से टूट चुका था। उसने अपने दोस्त खरगोश की शर्त पूरी तरह सच्चे दिल से मान ली। उसे समझ में आ गया कि वह जंगल के बाकी जानवर को बहुत परेशान करता था। उन्हे डरता था। शेर को खरगोश की यह बात समझ में आई और उसने जंगल के बाकी जानवरों को भी परेशान करना छोड़ दिया।
सभी जानवरों के साथ सम्मान से व्यवहार करना शुरू कर दिया। शेर को अपने घमंड पर खुद पर शरम आई और उसने गलती मान ली कि बलवान होने पर भी घमंड में ही नहीं रहना चाहिए। शेर ने सीख लिया कि ताकत के साथ-साथ बुद्धि भी महत्वपूर्ण है।
शेर खरगोश के साथ जंगल के बाकी सभी जानवरों के साथ प्यार से रहने लगा।
कहानी से सीख –
० मित्रता का महत्व –
कहानी से हमें यह सिख मिलती है कि मित्रता कितनी महत्वपूर्ण होती है। खरगोश और शेर दो भिन्न प्राणियों होते हैं, लेकिन उनकी मित्रता ने उन्हें जंगल के खतरों से बचाया।
० सहयोग और साझेदारी –
यह कहानी दिखाती है कि सहयोग और साझेदारी किसी भी समस्या को हल करने में मददगार हो सकते हैं। खरगोश की बुद्धिमत्ता और शेर की ताकत, जब वे मिलकर काम करते हैं, तो उन्हें अधिक सक्षम बनाते हैं।
० चालाकी और समय पर निर्णय –
खरगोश ने बुद्धिमत्ता से यह निर्णय लिया कि शेर को शिकारियों से बचाने के लिए उन्हें जल्दी से भाग जाना चाहिए। यह सिखाता है कि समय पर उचित निर्णय लेना किसी भी परिस्थिति को सुलझाने में मददगार होता है।
० विशेषता का महत्व –
हर व्यक्ति की अपनी विशेषता होती है और उसके पास कुछ कमियाँ भी हो सकती हैं। इस कहानी से हमें यह सिख मिलती है कि हमें अपने और दूसरों की विशेषताओं का सम्मान करना चाहिए और उन्हें पूरी करने में मदद करना चाहिए।
इन सिखों को ध्यान में रखकर हम अपने जीवन में सफलता प्राप्त कर सकते हैं और और एक बेहतर और सहयोगी समाज की ओर कदम बढ़ा सकते हैं।
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