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Home हिंदी कहानियां

Hindhi Kahani:दोस्ती का फल – मेहनत का फल

bol dost by bol dost
February 15, 2024
in हिंदी कहानियां
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Hindhi Kahani:दोस्ती का फल - मेहनत का फल

Hindhi Kahani:दोस्ती का फल - मेहनत का फल

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नमस्ते दोस्तो। आपका boldost.com पर स्वागत है। Hindhi Kahani:दोस्ती का फल – मेहनत का फल -आज आपके बच्चों के लिए कहानी लेकर आए हैं। छोटे बच्चों को कहानी सुनना बहुत ही पसंद होता है। बच्चे अक्सर कहानी सुनाने के लिए बोलते हैं। टीचर स्कूल में भी खाली समय में बोर होने पर अपने विद्यार्थियों को यह कहानी सुना सकते हैं।

चलिए फिर शुरू करते हैं।

Hindhi Kahani:दोस्ती का फल - मेहनत का फल

एक बार की बात है, एक बहुत ही घना सुंदर जंगल था। जंगल में बहुत सारे जानवर रहते थे। जंगल में सभी जानवर एक दूसरे से प्यार से रहते थे। एक दूसरे की मदद करते थे। जंगल में एक शेर था जो जंगल का राजा था। वह बहुत बुद्धिमान और न्यायप्रिय शासक था, और वह भी जंगल के सभी जानवरों से प्यार करता था। एक दिन, शेर जंगल में घूम रहा था, तो उसने एक जानवरों के समूह को एक मरे हुए घोड़े के चारों ओर इकट्ठा देखा। शेर ने जानवरों से पूछा कि क्या हुआ है, और उन्होंने उसे बताया कि घोड़ा भूख से मर गया है ।

Hindhi Kahani:दोस्ती का फल - मेहनत का फल
Hindhi Kahani:दोस्ती का फल - मेहनत का फल

शेर को यह सुनकर बहुत दुख हुआ, और वह समझ गया कि कुछ करना होगा ताकि ऐसा फिर से न हो। उस के दरबार में बंदर उसका भरोसेमंद मंत्री था। उसने बंदर को अपने पास बुलाया, और उसने उसे जंगल में फलों की खेती करने के लिए कहा। बंदर इस अनुरोध से आश्चर्यचकित था, लेकिन उसने इसे करने के लिए सहमति व्यक्त की।

बंदर ने अपने राजा को हाथ तो बोल दी लेकिन वह चिंता में पड़ गया। क्योंकि उसने कभी खेती की नहीं थी। और उसे यह भी मालूम था कि वह अकेला खेती नहीं कर पाएगा उसे किसी और की मदद लगेगी।

फिर बंदर ने फलों की खेती करने के लिए अपने दोस्त हाथी की मदद लेने की सोचा।

बंदर और एक हाथी एक दूसरे के बहुत अच्छे दोस्त थे। वे हमेशा साथ रहते थे। साथ मस्ती करते रहते थे।

बंदर हाथी के पास गया।
उसने ने हाथी से कहा, “आज हम कुछ नया करते हैं। क्या तुम मेरे साथ एक खेत में चल कर देखना चाहोगे?”

हाथी ने हँसते हुए कहा, “बिल्कुल, मैं तुम्हारे साथ चलता हूँ। क्या मुझे बता सकते हो कि हम क्या करने वाले हैं?”

बंदर ने मुस्कराते हुए उत्तर दिया, “हां, हां! हम खेत में जाकर खेती करेंगे।”

हाथी ने अचंभित होकर पूछा, “क्या तुम जानते हो कि खेती कैसे की जाती है?”

बंदर ने जवाब दिया, मैंने कभी खेती नहीं की है। पर मैंने कई बार लोगों को खेती करते देखा है। हमें सिर्फ बीज बोने होते हैं, और फिर वो उग जाते हैं। बहुत ही आसान है!”

हाथी ने सोचा, “ठीक है, यह काम तो आसान लगता है। हम जाकर खेत में बीज बो देंगे।”

बंदर और हाथी खेत में पहुँचे और बंदर ने बोला, “ठीक है, अब हमें बीज बोने होते हैं।”

हाथी ने सोचा, “क्या यह बीज है? मुझे तो इसकी जानकारी ही नहीं है।”

बंदर ने उसे बताया कि “यह फलों बीज है।”

बंदर ने देखा कि हाथी थोड़ा खो गया है और उसके चेहरे पर चिंता की लकीरें दिख रही हैं। उसने हाथी से पूछा, “क्या हुआ, दोस्त? कुछ गलत है क्या?”

हाथी ने हँसते हुए कहा, “बंदर दोस्त, मुझे यह तो पता नहीं कि बीज कैसे बोते हैं।”

बंदर ने भी हँसते हुए कहा, “अरे यार, मैंने तो तुझे बताया ही नहीं कि बीच कैसे बोते हैं। चिंता मत कर, मैं तुझे सिखा दूंगा।”

और फिर बंदर ने हाथी को दिखाया कि कैसे बीज बोते हैं। हाथी ने बंदर को फलों के बीज बोना सिखाने के लिए धन्यवाद कहा और उन्होंने मिलकर बीज बो डाले।

हाथी और बंदर ने जंगल में फलों की खेती के लिए कड़ी मेहनत की। उन्होंने पेड़ लगाए और उन्हें पानी दिया, और वे फलों के पकने का धैर्यपूर्वक इंतजार करते थे। दिन बितते-बितते, खेत में फलों के छोटे-छोटे पौधे हवा से डोल रहे थे। बंदर और हाथी ने खेत में देखा और खुशी खुशी नाचने लगे। कुछ दिन बाद उन पेड़ों पर मीठे मीठे फल भी आने शुरू हो गए।

बंदर ने कहा, “देखा, हमारी मेहनत का फल मिल रहा है।”
हाथी ने मुस्कुराते हुए कहा, “हां यह हमारी मेहनत के साथ हमारी दोस्ती का फल है।”

बंदर ने हँसते हुए कहा, “हां, तू तो सही कह रहा है, हाथी दोस्त। हमारे राजा शेर और जंगल के सभी जानवर फलों को देखकर बहुत खुश हो जाएंगे!”

कुछ महीनों के बाद, फल आखिरकार पके और जंगल के जानवरों को खाने को मिले।

हाथी और बंदर को खुशी हुई कि उन्होंने दूसरे जानवरों की मदद की है, और वे जंगल में फलों की खेती जारी रखते थे। उन्होंने एक बड़े बाग़ का निर्माण किया, जिसमें विभिन्न प्रकार के फल के पेड़ थे। वे हर दिन फल तोड़ते थे और उन्हें जंगल के जानवरों को खिलाते थे।

जंगल के जानवरों को बहुत खुशी हुई कि उन्हें अब भोजन की कमी नहीं थी। वे हाथी और बंदर का बहुत आभारी थे। वे अक्सर उन्हें धन्यवाद देते थे और उनकी प्रशंसा करते थे।

हाथी और बंदर को जानवरों की खुशी देखकर बहुत खुशी हुई। वे जानते थे कि वे सही काम कर रहे थे। उन्होंने जंगल में फलों की खेती करना जारी रखा और कई जानवरों की जान बचाई।

एक दिन, एक सूखा पड़ा। बारिश नहीं हुई और जंगल के जानवरों के पास पीने के लिए पानी नहीं था। शेर ने हाथी और बंदर को बुलाया और कहा कि उन्हें पानी ढूंढना होगा। हाथी और बंदर ने जंगल में पानी ढूंढने के लिए निकल पड़े। वे कई दिनों तक पानी की तलाश में भटकते रहे। आखिरकार, उन्होंने एक नदी पाई। वे बहुत खुश हुए और उन्होंने पानी से भरे कई घड़े लाए।

शेर और अन्य जानवरों ने पानी पीया और बहुत खुश हुए। उन्होंने हाथी और बंदर को धन्यवाद दिया। हाथी और बंदर बहुत खुश थे कि उन्होंने शेर और अन्य जानवरों की मदद की थी।

हाथी और बंदर ने जंगल में कई सालों तक फलों की खेती और पानी की व्यवस्था की। उन्होंने कई जानवरों की जान बचाई और उन्हें खुशी से जीने में मदद की। वे जंगल के सभी जानवरों के द्वारा प्यार और सम्मानित थे।

इसी तरह, बंदर और हाथी ने साथ मिलकर खेती की, और जानवरों की मदद की। उनकी दोस्ती और मेहनत के फल ने पूरे जंगल को बहुत खुशियों से भर दिया।

 

Hindhi Kahani:दोस्ती का फल - मेहनत का फल
Hindhi Kahani:दोस्ती का फल - मेहनत का फल

कहानी से सीख –
मेहनत और सहयोग से हम किसी भी मुश्किल को आसानी से पार कर सकते हैं। हमें हमेशा जरूरतमंदों की मदद करनी चाहिए, चाहे मदद कितनी भी छोटी क्यों न हो। हम दूसरों के जीवन में बदलाव ला सकते हैं, भले ही वह छोटा सा ही बदलाव क्यों न हो।

आपको यह कहानी कैसी लगी हमें कमेंट करके बताइए। कहानी अच्छी लगे तो अपने दोस्तों परिवार के साथ भी शेयर करें।
जुड़े रहिए boldost.com के साथ।
धन्यवाद।

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