I AM A MIND हिंदी QUOTES: इस आर्टिकल में मैं मन हूँ किताब के बेहतरीन हिंदी Quotes कोट्स पढ़ेंगे ।मैं मन हूँ यह किताब लेखक दीप त्रिवेदी इन्होंने लिखी है। इस किताब में उन्होंने मन के के बारे में चर्चा की है ।इस किताब में लेखक कहते हैं कि अगर आपको आपके जीवन में समस्याओं का अंत करना है तो आपको मन के बारे में समझना होगा,तो दोस्तों बढ़ाते हैं कोट की ओर।
मैं मन हूँ किताब के बेहतरीन हिंदी Quotes : I AM A MIND हिंदी QUOTES
1 मन के कारण ही मनुष्य अस्तित्व में है।
2 मनुष्य की सारी सफलताओं और असफलताओं का राज उसके मन की गहराइयों में ही छुपा पड़ा है।
3 मनुष्य के जीवन में क्रोध, अहंकार,दुःख असफलता, चिंता, तनाव, हिंसा, बोरियत इनका साम्राज्य आदिकाल से वैसा ही है।
4 मन की शक्तियों का ठीक से उपयोग किए बिना मनुष्य जीवन में सुखी व शांत नहीं हो सकता।
5 मन सभी मनुष्य में समान रूप से उपस्थित है,मनुष्य जीवन की सभी बागडोर मन के हाथों में है।
6 मन के बारे में समझना आसान नहीं है ,क्योंकि मन की कार्य प्रणाली बड़ी कॉम्प्लिकेटेड होती है।
7 विज्ञान की भाषा में मन अदृश्य है।
8 मनुष्य जीवन को उसका दिमाग केवल 10 % प्रभावित करता है बाकी सब प्रवाह मन का ही होता है।
9 यदि मन टाइम और स्पेस के भीतर होता तो विज्ञान कब की मन का एनालिसिस कर मनुष्य के जीवन से क्रोध और चिंता को गायब कर देता।
10 यदि मनुष्य ने अपने मन को पहचान लिया तो आनंद व सफलता उसका भाग्य हो सकता है।
11 उपद्रव मचाना यह मन का एक स्वभाव है। मन उटपटांग तरंगें पैदा करने वाली एक फैक्ट्री है।
12 मनुष्य की बुद्धि कभी-कभी भ्रष्ट हो जाती है क्योंकि मन के उपद्रव पर मनुष्य का कोई कंट्रोल नही।
13 मन विज्ञान की पकड़ से बाहर है क्योंकि यह अदृश्य है। मन विशाल, अनूठी व स्वतंत्र सत्ता है।
14 कॉन्शियस माइंड, सबकॉन्शियस माइंड, अनकॉन्शियस माइंड ,सुपर कॉन्शियस माइंड ,कलेक्टिव कॉन्शियस माइंड, स्पॉन्टेनियस मन, अल्टीमेट मन ,ये मन के सात प्रकार है।
15 मन के सबसे शक्तिशाली स्वरुप को जानना हो तो आपको छोटे बच्चों की तरफ देखना होगा, बच्चा सुपर कॉन्शियस माइंड में पैदा होता है।
16 मन को दबाकर रखने की कोशिश की गई तो मन के दुष्परिणाम मनुष्य को भूगतने में पढ़ते हैं।
17 स्वतंत्र मन की हमेशा बदनामी होती है, मनुष्य ने युगो से अपने कष्ट के लिए मन को जिम्मेदार ठहराया है।
18 कॉन्शियस माइंड व्यर्थ की जानकारियां एकत्रित करने से बनता है, जबकि अनकॉन्शियस और सबकॉन्शियस माइंड क्रोध व प्रेम दबाने से मजबूत होता है।
19 हमारा मन अद्भुत शक्तियों का एक केंद्र है ,मनुष्य के पूरे अस्तित्व में मन ही है जो संपूर्ण कुदरत के अस्तित्व से जुड़ा है।
20 मन की शक्ति के केंद्र को सक्रिय किए बिना कोई भी मनुष्य सुखी व सफल नहीं हो सकता। हम इतनी कल्पना नहीं कर सकते इतनी शक्तियों से मन भरा पड़ा है।
21 बच्चों की लालन पालन ही वह इंपॉर्टेंट घड़ी है, जो उस बच्चों की जीवन की दशा और दिशा दोनों तय करती है।
22 बच्चा बहुत शक्तिशाली और ऊर्जा से भरपूर होते हैं, उस ऊर्जा को उसकी प्रतिभा की दिशा में डालकर उसके जीवन को आगे बढ़ना होगा ऐसा करने से उसकी शक्तियों के केंद्र सक्रिय हो जाएंगे।
23 मन के तल पर हर क्रिया की बराबरी पर प्रतिक्रिया होती रहती है।
24 स्पॉन्टेनियस mind प्रकृति की क्षणिक चेतना का एक अंग है।
25 पॉईंटऑफ क्रिएटिविटी स्पॉन्टेनियस माईंड का हिस्सा है, एक दिन मनुष्य को उसके मनपसंद क्षेत्र में सफलता हासिल कर देता है।
26 अल्टिमेट माइंड के कारण मन, बुद्धी, शरीर, हृदय सब सक्रिय है। जो इस मन तक पहुंचता है उसको जीवन में कितने भी उतार चढ़ाव आए कोई फर्क नहीं पड़ता।
27 जीवन मन से चलता है और मन नियम से चलता है तो मन के नियम समझने से ज्यादा आवश्यक क्या ?
28 मनुष्य किसी भी देश, स्थिति और काल में पैदा हो , सभी में मन एक ही रहता है।
29 यदि मनुष्य स्वस्थ है या उसके शरीर में पीड़ा है तो मन भी उदास से बेचैन हो जाता है।
30 मन और शरीर दोनों एक दूसरे को प्रभावित करते हैं परंतु वहा जीत मन की होती है।
31 मन के अस्तित्व को लेकर हर कोई भ्रमित है।
32 मनुष्य का अस्तित्व जितना पुराना है उतना ही मन पुराना हूं।
33 मन के अस्तित्व पर किसी का कोई प्रभाव नहीं मन सब में एक होता है।
34 मन के तरंगों का कोई हिसाब नहीं रखा जा सकता।
35 मन पूरी तरह से नियम से चलता है हमें इस नियम को समझकर जीवन में सफलता पानी है।
36 मन का समाज , परंपराओं से कोई लेना-देना नहीं।
37 मन को कोई बंधन स्वीकार नहीं मन अनंत का गणित लगाकर व्यवहार करता है।
38 मन अपने आप में पूर्ण है, मन का किसी दूसरे से कुछ लेना-देना नहीं।
39 विश्व, चांद, तारों का गणित मन निकल सकता है।
40 मन की कार्य प्रणाली ठीक से समझे बगैर मनुष्य का कोई उद्धार नहीं।
41 मन में दबाए हुए क्रोध का अधिकांश हिस्सा इस पर निकलता है जिसके विरुद्ध आपने दबाया हुआ है।
42 मन से ज्यादा उपद्रवी संसार में कोई और नहीं है।
43 मन मनुष्य के जीवन को सर्वाधिक प्रभावित करता है और मनुष्य को झेलना पड़ रहे तमाम दुख, चिंता और तनाव का कारण मन ही है।
44 त्रिगुण माया से ब्रह्मांड का यह कण कण व्याप्त है।
45 बीता हुआ कल दो कौड़ी का है, क्योंकि वह कभी लौट नहीं आ सकता और भविष्य काल है जो अभी आया ही नहीं।
46 वर्तमान ही वह जादू है जो मनुष्य के तमाम समस्याओं को निराकरण करने की क्षमता रखता है।
47 अधिकांश दुखों का मूल कारण भूतकाल है और तमाम चिंता का कारण भविष्य है।
48 वर्तमान में भूत व भविष्य को गूसडणे की कोशिश ही सारे दुखों की जड़ है।
49 जीवन जीने के लिए हमारे पास वर्तमान के अलावा कभी कुछ उपलब्ध हुआ ही नहीं है।
50 आनंद और सफलताका एक ही मंत्र है -“वर्तमान में जीने की कला सीखना।”
51 बड़ी सफलता वो प्राप्त करता है जो भीड़ में अकेले खड़े होने की क्षमता रखता है।
52 रोज हमें आनंद से जीकर दुख से हमें छुटकारा पाना है तो भीतर व्यक्ति को निखारना होगा।
53 मनुष्य के बर्बादी का और एक कारण है हीनताओं से ग्रसित होना।
54 मनुष्य अपने इफीरिअरिटी रोकने के जो प्रयास करता है उसे ही आप सुपिरिअरीटी समझते हैं।
55 आप जैसे हैं उसे पूरी तरह स्वीकारें बगैर हीनता से कभी छुटकारा नहीं हो सकता।
56 मनुष्य की सारी हीनताओं की जन्मदाता है -तुलना करना।
57 मनुष्य के अधिकांश दुखों के पीछे उसका लगाव है।
58 प्रेम का अर्थ होता है आप सामने वालों का हीत तो चाहते हैं परंतु उसे अपना नहीं मानते ,जबकि इंवॉल्वमेंट का अर्थ है आप उसे अपना मानते हैं और यह मानना ही आपकी इंवॉल्वमेंट है।
59 प्रेम एक ऐसी उच्चभावना का नाम है जो बिना पक्षपात के सारे संसार के मनुष्य का हित चाहती है।
60 जिस वस्तु में आपका इंवॉल्वमेंट जितना ज्यादा उतना ही उस इंवॉल्वमेंट में होने वाला दुख ज्यादा।
61 आप जिस चीज का चुनाव करते हैं उस दिन उसे आप अपना मानना शुरू कर देते हैं और अपना मानते हैं वह वस्तु की प्रति आपका इंवॉल्वमेंट बढ़ जाता।
62 मनुष्य की तमाम अपेक्षाओं की शुरुआत अपना मानने से होती है।
63 मनुष्य जीवन में सफलता पाना यह मनुष्य का जन्मसिद्ध अधिकार है मगर मन को ना समझने के कारण वह इस अधिकार को खो देता है।
64 आसमान में सूरज चमक रहा है, पृथ्वी घूम रही है, हवाई भारी है अर्थात पुरी की पूरी प्रकृति ऊर्जा से भारी पड़ी है मगर मनुष्य जीवन में उतनी ऊर्जा नहीं।
65 कला, साहित्य, विज्ञान सब कुछ इंसान की उपज है।
66 मनुष्य के जीवन में समय और शक्ति इन दोनों चीजों की बेहद कमी है।
67 बुद्धि अधिकांश चीजों में समय व शक्ति का दुरुपयोग करती है मगर मन के पास एक इंटेलिजेंस नाम की वस्तु है जिसका ध्यान सिर्फ समय और शक्ति बचानेमे में लगा रहता है।
68 मनुष्य को अपने जीवन में सफलता पाने के लिए उसे अपनी इंटेलिजेंस को सक्रिय करना जरूरी है।
69 शार्प मेमोरी या तर्क क्षमता इंटेलिजेंस कतई नहीं।
70 बुद्धिमान को हर वस्तु आवश्यक जान पड़ती है, इंटेलिजेंट के लिए जो हाथों काम ना आये वह सभी बेकार।
71 बुद्धिमान लगातार हाथ पाव मारते रहने को जीवन समझता है, इंटेलिजेंस सिर्फ बड़े मौके भुनाने में विश्वास करता है।
72 बुद्धिमान एक ही गलती हजार तरीकों से दोहराता सकता है, इंटेलिजेंट के लिए एक अनुभव ही काफी है।
73 बुद्धिमान को बातें पूरे विस्तार से जनने को चाहिए होती है, इंटेलिजेंट को मतलब सिर्फ बात के सार से ही होता है
74 बुद्धिमान नया जानने -समझने तथा उसके आधार पर दूसरे व्यक्ति पर अपना प्रभाव झड़ने की कोशिश में लगा रहता है, इंटेलिजेंट को जब और जितना जानना आवश्यक हो बस उतना ही जानने में रस होता है।
75 मनुष्य को आगे बढ़ना है तो उसे ब्रिलियंस और इंटेलिजेंस का फर्क मालूम होना जरूरी है।
76 जीवन के सारी सफलताएं का राज अनावश्यक को पहचाने और उससे छुटकारा पाने में छुपी हुई है।
77 प्रकृति के सबसे उच्चतम कला है पावर आफ क्रिएशन। इतिहास में आप अपना नाम दर्ज करना चाहते हो तो पावर ऑफ क्रिएटिविटी का उपयोग करना सीखे।
78 क्रिएटिविटी का सबसे शानदार उदाहरण है -“हमारी सृष्टि।”
79 क्रिएटिविटी पाने का सही तरीका है- जिस कार्य में आपकी रुचि जागती हैं तथा जो कार्य करने में आप कभी नहीं थकते उस कार्य में आप क्रिएटिव होकर सफल हो सकते हैं।
80 जो कार्य करने हेतु आप हमेशा तत्पर रहते हो बस आपका वही कार्य क्षेत्र है।
81 स्वयं में दृढ़ता व साहस पैदा ना कर पाने के कारण सो में से 90 लोग बेचैनी में जी रहे हैं।
82 अपनी क्रिएटिविटी के क्षेत्र में आगे बढ़ना ही मनुष्य के जीवन का हित है।
83 concentration के बिना कार्यों के अद्भुत परिणाम नहीं आते, concentration हर मनुष्य का स्वामी गुण है जो उसमें मौजूद है।
84 कंसंट्रेशन मनुष्य का स्वभाव है उसे पैदा नहीं करना होता है।
85 कंसंट्रेशन का मतलब किसी चीज पर ध्यान लगाना नहीं है तो तो ध्यान लगाते समय सब चीजों के विचार त्याग देना है।
86 कंसंट्रेशन परमाणु की तरह मन का सूक्ष्म स्वरूप है।
87 रूस में एक लड़की ने मन के कंसंट्रेशन के सहारे घड़ी की सुईया घूमई थी।
88 जिस मनुष्य का कंसंट्रेशन जितना ज्यादा होता है उसका ऑरो अभी ज्यादा होता है।
89 लड़की खूबसूरत ना हो तो उसके साथ विवाह करके कोई रहना नहीं चाहता ठीक उसी तरह जिसका concentration का ऑरो कम होता है उसके साथ कोई दिल से नहीं रहता।
90 कंसंट्रेशन न लग पाना, क्षेत्र के अरुचिकर होने या ऊर्जा की कमी होने की और इशारा करता है।
91 मनुष्य जीवन का पूरा खेल ऊर्जा का है, जिसमें जितनी ज्यादा ऊर्जा उनका कंसंट्रेशन ज्यादा।
92 उज्जवल जीवन के लिए मनुष्य का शौकीन होना भी उतना ही जरूरी है …..फिर वह नृत्य का हो या खाने का, कपड़े पहनने का हो या घूमने का हो।
93 जीवन में कभी गंभीर रहना ही मत क्योंकि गंभीरता एक रोग है जो मनुष्य की पूरी ऊर्जा खा जाता है ,हंसमुख रहो।
94 यदि आपको जीवन में सफल होना है तो अपनी महत्वाकांक्षा को कम करना होगी।
95 हमारा मन बुद्धि की परिभाषा से बिल्कुल विपरीत है, सफलता मन का विषय है बुद्धि का नहीं।
96 मन हमेशा नियम से चलता है। ठीक उसी तराह सृष्टि भी नियम से चलती है।
97 जीवन में जो अधिक महत्वाकांक्षी होता है वह असफल भी अधिक होता है।
98 जीवन में परिणाम कार्य करने से आते हैं महत्वाकांक्षा करने से नहीं आते।
99 दूसरों के भरोसे जीने से फिर चाहे वह भगवान ही क्यों ना हो…… मनुष्य का विश्वास कम होता है।
100 जीवन में विश्वास ही वह मार्ग है जो आपको आपकी मंजिल तक पहुंचा सकता है।
101 “संतोषम परम धनम्।” इसलिए जीवन में संतोष रखो।
102 संतोष का अर्थ है कि आप जहां है, जिस परिस्थिति में है, आपके पास जो कुछ भी और जैसा भी है आप उससे संतुष्ट है।
103 जब मनुष्य अपने वर्तमान से पूरी तरह संतुष्ट होता है तो मन सुकून और शांति का अनुभव देता है।
104 जीवन में लिए श्रेष्ठ निर्णय ही मनुष्य जीवन की गति व मती दोनों निश्चित करते।
105 संतोष मानने पर आप आनंद व मस्ती से भर जाते हैं।
106 संतोष का पहला मजा यह कि मनुष्य आज से सुखी हो जाता है और दूसरा उसकी मनोदशा हमेशा सकारात्मक बनी रहती है।
107 मनुष्य की जीवन को सबसे प्रभावित करने वाला है मन और मन पूर्ण रूप से स्वतंत्र हे और उसकी कार्यप्रणाली भी बडी कॉम्प्लिकेटेड है।
108 मन पुरी तरह से नियम से चलता है, मन अनेक शक्ती का केंद्र है और दुसरी और मन में विकार भी छुपे हुए है।
109 मनुष्य के जीवन में दुख दूर करने होंगे तो मनुष्य को साइकोलॉजिकल उपाय है -वर्तमान में जीना, हीनता से बचाना., इंवॉल्वमेंट कम रखना और एक्सपेक्टेशन काम रखना।
110 आत्मविश्वास,इंटेलिजेंस,पर्सनालिटका विकास, कंसंट्रेशन क्रिएटिविटी, उत्साह यह गूण बचपन से मनुष्य में कूट-कूट कर भरे हैं।
111 अधिकांश बच्चे मन के सुपर कॉन्शांइस मन में जीते हैं उत्साह आत्मविश्वास उत्साह दृढ़ता यह गुण उनमें रहते है।
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