दोस्तों स्वागत है आपका Boldost.com पर। इस आर्टिकल में हम नेपोलियन हिल लिखित किताब ‘सोचो और आमिर बनो’ (थिंक एंड ग्रो रिच ) से एक टॉपिक पढ़ेंगे जो हमें ‘काश’ नाम के बूढ़े आदमी के पचास बहाने बताते है।
हम हमरे जीवन में एक शब्द को बड़ा महत्व देते है और वो शब्द है –‘काश’
सोचो और आमिर बनो : थिंक एंड ग्रो रिच
जीवन में हम कुछ करते वक्त कर्म को छोड़कर बहुत बहाने बनाते है। हमे अपने कर्म पर विश्वास नहीं होता और हम कहते फिरते है की ‘काश’ ऐसा होता तो में ऐसा करता।’ काश’ ऐसा न होता हो ये बुरा दिन नहीं दिखता।
हमे इस आदत को छोड़ना होगा ताकि हम आमिर हो सके। हम ‘काश’ नाम के पचास वाक्य देखेंगे जो हम जीवन में बोलते रहते है।
काश ऐसा होता , काश ऐसा न होता -हमारे बहाने- सोचो और आमिर बनो- बुक समरी(Short )
◊ काश मुझे मेरी पत्नी और परिवार नहीं होते।
◊ काश मुझे मजबूत समर्थन मिलता।
◊ काश मेरे पास पैसे होते।
◊ काश मुझे अच्छी शिक्षा मिली होती।
◊ काश मुझे नौकरी मिल गई होती।
◊ काश मेरा स्वास्थ्य अच्छा होता।
◊ काश मेरे पास पर्याप्त समय होता।
◊ काश मेरे दिन अच्छे होते।
◊ काश दूसरे लोग मुझे समझते।
◊ काश मेरे आसपास का माहौल थोड़ा अलग होता।
◊ काश मैं अपना जीवन फिर से जी पाता।
◊ काश मैं इस बात से नहीं डरता कि लोग क्या कहेंगे।
◊ काश मुझे उचित मौका दिया गया होता।
◊ काश अभी मुझे मौका मिले तो।
◊ काश और लोगों ने मुझे ऐसा न बनाया होता।
◊ काश मुझे रोकने के लिए कुछ नहीं होता ।
◊ काश मैं अधिक नौजवान होता।
◊ काश मैं वह कर पाता जो मैं चाहता हूं।
◊ काश मैं अमीर पैदा हुआ होता।
◊ काश मैं उन लोगों की तरह अकलमंत होता ।
◊ काश मेरे पास और लोगों की तरह बुद्धि होती।
◊ काश मैं अपने विचार व्यक्त करने का साहस कर पाता।
◊ काश मैं खोए हुए अवसरों की भरपाई कर पाता।
◊ काश लोगों ने मुझ पर इतनी ताकत नहीं लगाई होती।
◊ काश मुझे घर और बच्चों की देखभाल नहीं करनी पड़ती ।
◊ काश मैं केवल कुछ पैसे बचा पता ।
◊ काश मेरे मालिक ने मेरी कदर की होती।
◊ काश यदि मेरा कोई सहायक होता।
◊ काश मेरा परिवार मुझे समझ पाता।
◊ काश मैं एक बड़े शहर में रहता ।
◊ काश मैं अच्छी शुरुआत कर पाता।
◊ काश मैं मुक्त होता ।
◊ काश मेरे पास भी कुछ लोगों जैसा व्यक्तित्व होता।
◊ काश मैं इतना जिद्दी नहीं होता।
◊ काश मुझे अपनी बुद्धि का पता होता।
◊ काश मेरे पास बेहतर मौका होता।
◊ काश मैं कर्ज में नहीं डूबा नहीं होता।
◊ काश यदि केवल मैं असफल नहीं होता।
◊ काश कैसे होता मुझे पता चलता।
◊ काश मुझे ये सारी चिंताएँ नहीं होतीं।
◊ काश मैंने सही व्यक्ति से शादी की होती।
◊ काश लोग इतने मूर्ख नहीं होते ।
◊ काश मेरा परिवार इतना खर्चीक नहीं होता।
◊ काश मुझे खुद पर यकीन होता।
◊ काश भाग्य मेरे खिलाफ नहीं होता।
◊ काश मेरा जन्म गलत नक्षत्र में नहीं हुआ होता।
◊ काश यह सच नहीं है कि जो होगा सो होकर रहेगा।
◊ काश मुझे इतनी मेहनत न करनी पड़ती।
◊ काश मैंने पैसा खर्च नहीं किया होता।
◊ काश मैं दूसरे मोहल्ले में रहता।
◊ काश मेरा अतीक नहीं होता।
◊ काश मेरा अपना व्यवसाय होता।
◊ काश दूसरे मेरी बात सुनते तो अच्छा होता।
◊ और सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि काश मुझमें खुद को वैसा ही देखने का साहस होता, जैसा मैं वास्तव में हूं, तो मैं देखता कि मेरे साथ क्या गलत है और इसे में ठीक करता ।तब मुझे अपनी गलतियों से सीखने और उनसे लाभ उठाने का अवसर मिलता।
◊ मैं दूसरों के अनुभव से कुछ सीखता, क्योंकि उस स्थिति में मुझे अपनी कमियों, गलतियों का पता चलता और काश मैं अपनी कमियों का विश्लेषण करने में अधिक समय लगाता और वहीं होता जहाँ मुझे होना चाहिए था और बहाने बनाने में कम समय व्यतीत करता।
अपनी असफलताओं को छुपाने का बहाना बनाना एक राष्ट्रीय खेल है। यह मानव जाति की पुरानी आदत है और यह सफलता के लिए बेहद खतरनाक है।
लोग अपने पुराने बहानों से क्यों चिपके रहते हैं? उत्तर स्पष्ट है। वे उस कारण का समर्थन करते हैं क्योंकि यह उनकी रचना है। मनुष्य द्वारा दिया गया कोई भी बहाना उसकी अपनी कल्पना का उत्पाद है और यह मानव स्वभाव है कि वह अपने ही मस्तिष्क की कल्पना का समर्थन करता है। बहाने बनाना एक गहरी पैठी हुई आदत है। आदतों को तोड़ना कठिन है, कठिन है, विशेष रूप से तब जब वे आपके द्वारा किए जाने वाले कार्यों के समर्थन में हों।
“पहली और सबसे अच्छी जीत स्वयं पर विजय है। लेकिन अपने आप पर अहंकार की विजय सबसे शर्मनाक और घृणित है।”
एक अन्य दार्शनिक का भी यही विचार था जब उन्होंने यह कहा। “मुझे बहुत आश्चर्य हुआ जब मुझे पता चला कि मैं दूसरों में जो बदसूरत चीजें देखता हूं, उनमें से ज्यादातर खुद का प्रतिबिंब हैं।”
लोग खुद को मूर्ख बनाने में इतना समय क्यों लगाते हैं? इसी समय का यदि अन्यत्र सदुपयोग किया जाता तो यही समय अपनी कमियों को सुधारने में काम आता और बहाने बनाने की जरूरत ही नहीं पड़ती।
“जैसा कि मैं जाता हूं, मैं खुद को याद दिलाता हूं कि, “जीवन एक खेल है और सामने वाला समय है। यदि आप किसी भी चाल को चलाने में देरी करते हैं, तो समय आपका पासा मार देगा। आप एक ऐसे खिलाड़ी के खिलाफ खेल रहे हैं जो ड्रॉ बिल्कुल स्वीकार नहीं करता है!
“पहले आप जो चाहते थे उसे न पाने के लिए आपके पास एक तार्किक बहाना हो सकता था, लेकिन वह बहाना अब अप्रचलित है, क्योंकि अब आपके पास एक मास्टर कुंजी है जो जीवन के महान धन के द्वार खोल सकती है। यह मास्टर कुंजी निराकार, लेकिन शक्तिशाली है
.अपने मन में एक निश्चित रूप में धन प्राप्त करने की एक ज्वलंत इच्छा जगाना एकमात्र अधिकार है। उस कुंजी का उपयोग करने के लिए कोई दंड नहीं है। लेकिन यदि आप इसका उपयोग नहीं करते हैं, तो आपको भारी कीमत चुकानी पड़ती है।
तो दोस्तों लेखक नेपोलियन हिल अपने सोचो और आमिर बनो इस किताब में बताते है की आमिर बनने के लिए हमे निरतर सोचना चाहिए और जो बहाने हम बनाते है उसे दूर करके आमिर बनने का रास्ता खोजना चहिये
सबसे बड़ा बहना जो हमने इस आर्टिकल में देखा की काश ऐसा होता , काश ऐसा न होता इस काश शब्द के मायाजाल से हमे दूर रहना चाहिए
दोस्तों आपको यह आर्टिकल कैसा लगा कमेंट करके जरूर बताना
धन्यवाद
आपका दोस्त – Boldost
काश ऐसा होता , काश ऐसा न होता -हमारे बहाने- सोचो औरआमिर बनो- बुक समरी
Tags: Think And Grow Rich